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एक शिक्षक की नज़र से: वो जो हर बच्चे में भविष्य देखता है

एक शिक्षक की नज़र से: वो जो हर बच्चे में भविष्य देखता है  लेखक ~ आनंद किशोर मेहता © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. क्या आपने कभी… शिक्षक की आँखों में झाँक कर देखा है? शायद नहीं। क्योंकि वहाँ कोई माँग नहीं होती। कोई शिकायत नहीं। सिर्फ एक उम्मीद होती है — कि यह बच्चा एक दिन उड़ान भरेगा। यह लेख एक शिक्षक की उस चुप सेवा की कहानी है, जो न दिखती है, न कही जाती है। यह उनके लिए नहीं है जो सिर्फ परीक्षा परिणाम देखते हैं, यह उनके लिए है जो यह समझते हैं कि एक अच्छा इंसान बनाना, सबसे बड़ी शिक्षा है। तो पढ़िए... अपने बच्चे की उन भावनाओं को समझने के लिए जो वह शब्दों में नहीं कह पाता, पर जो उसके शिक्षक हर रोज़ पढ़ लेते हैं। "बच्चा सिर्फ एक रोल नंबर नहीं होता, वो एक दुनिया होता है – मासूम, उम्मीदों से भरी, और हमारे हर व्यवहार से आकार लेती हुई।" "जो बच्चे घर में उपेक्षित हैं, वे स्कूल में किसी टीचर की मुस्कान में माँ-बाप ढूँढ़ते हैं।" हर सुबह एक शिक्षक जब स्कूल पहुँचता है... ...तो वह केवल पाठ्यक्रम का भार नहीं उठाता, वह अपने कंधों पर आने...

अनदेखी रोशनियाँ: नारी, वृद्ध और बच्चे

अनदेखी रोशनियाँ: नारी, वृद्ध और बच्चे ~ आनंद किशोर मेहता हर शाम जब दीपक जलता है, तो अंधेरे भागते हैं, और चारों ओर उजाला फैल जाता है। पर क्या हम उन दीपों को देख पाते हैं जो हमारे ही बीच जल रहे हैं — मौन, उपेक्षित, और फिर भी रोशनी बाँटते हुए? हाँ, बात हो रही है — नारी, वृद्ध और बच्चों की। ये तीनों जीवन के ऐसे आयाम हैं, जो हमें नज़र तो आते हैं, पर उनकी अहमियत अक्सर धुंध में छिप जाती है। 1. नारी: मौन दीप, जो हर आंधी में जलता है  वो माँ है — जो खुद भूखी रहकर भी बच्चों को पेटभर खिलाती है। वो बहन है — जो त्याग में भी मुस्कुराहट खोजती है। वो पत्नी है — जो टूटकर भी सबको जोड़ती है। उसके हाथों में सृजन है, मन में शक्ति है, और आत्मा में सहनशीलता। पर उसके संघर्ष को हम अक्सर साधारण मान लेते हैं। वह घर की लक्ष्मी तो है, पर कभी-कभी घर की "मौन मजदूर" भी बन जाती है। लेकिन सच यह है — नारी अगर रोशनी न होती, तो जीवन अंधकार ही रह जाता। आज की नारी केवल घर की नहीं, समाज, विज्ञान, राजनीति और अध्यात्म की रोशनी भी बन चुकी है। हमें नारी को श्रद्धा से नहीं, सम्मान और ...

एक मासूम की चुप्पी और भविष्य की पुकार

एक मासूम की चुप्पी और भविष्य की पुकार ~ आनंद किशोर मेहता 1. चुप्पी में छिपी पुकार कभी-कभी कुछ घटनाएँ दिल को भीतर तक झकझोर देती हैं। ऐसा ही अनुभव हाल ही में मेरे साथ हुआ, जब एक मासूम बच्चा—जो प्यारा, सरल और निश्छल था—मेरे स्कूल में पढ़ता था। उसके माता-पिता अत्यंत व्यस्त जीवन जीते हैं। पिता देर रात तक शराब और मौज-मस्ती में डूबे रहते, माँ खेत और रसोई के कामों में दिन-रात लगी रहती। ऐसे माहौल में वह बच्चा पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन उसका दिल कोमल और भावनाएँ गहरी थीं। 2. आत्मिक परिवर्तन की शुरुआत (Inner Transformation) नर्सरी से कक्षा एक तक उसका प्रदर्शन साधारण रहा, लेकिन कक्षा दो में आते-आते उसमें एक चमत्कारी परिवर्तन दिखा। वह पढ़ाई (Study) के प्रति उत्साहित हो गया। उसकी समझ (Understanding) बढ़ने लगी, आत्मविश्वास (Self-confidence) झलकने लगा। "यह देखकर मुझे गहरा संतोष हुआ—मानो वर्षों से बोया गया एक बीज अब अंकुरित होकर सूरज की ओर मुस्कुरा रहा हो।” 3. निर्णय का मोड़ (The Turning Point) लेकिन तभी एक मोड़ आया—उसके पिता के हाथ कुछ पैसे आए, उन्होंने बड़ा बेटा को किसी ‘हॉस्टल’ (Host...