एक शिक्षक की नज़र से: वो जो हर बच्चे में भविष्य देखता है
लेखक ~ आनंद किशोर मेहता
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
क्या आपने कभी… शिक्षक की आँखों में झाँक कर देखा है?
शायद नहीं।
क्योंकि वहाँ कोई माँग नहीं होती। कोई शिकायत नहीं।
सिर्फ एक उम्मीद होती है — कि यह बच्चा एक दिन उड़ान भरेगा।
यह लेख एक शिक्षक की उस चुप सेवा की कहानी है, जो न दिखती है, न कही जाती है।
यह उनके लिए नहीं है जो सिर्फ परीक्षा परिणाम देखते हैं,
यह उनके लिए है जो यह समझते हैं कि
एक अच्छा इंसान बनाना, सबसे बड़ी शिक्षा है।
तो पढ़िए...
अपने बच्चे की उन भावनाओं को समझने के लिए
जो वह शब्दों में नहीं कह पाता,
पर जो उसके शिक्षक हर रोज़ पढ़ लेते हैं।
"बच्चा सिर्फ एक रोल नंबर नहीं होता, वो एक दुनिया होता है – मासूम, उम्मीदों से भरी, और हमारे हर व्यवहार से आकार लेती हुई।"
"जो बच्चे घर में उपेक्षित हैं, वे स्कूल में किसी टीचर की मुस्कान में माँ-बाप ढूँढ़ते हैं।"
हर सुबह एक शिक्षक जब स्कूल पहुँचता है...
...तो वह केवल पाठ्यक्रम का भार नहीं उठाता,
वह अपने कंधों पर आने वाले कल की उम्मीदें उठाए होता है।
उसके सामने होते हैं वो नन्हें चेहरे,
जो बोलने से पहले नज़रें चुराते हैं,
और वो आँखें,
जिनमें किसी ने शायद महीनों से झाँक कर कुछ नहीं कहा।
शिक्षक जानता है –
कोई बच्चा खाली पेट आया है,
कोई पिछली रात रोते हुए सोया है,
और किसी ने स्कूल आने से पहले घर में गालियाँ सुनी हैं।
लेकिन वो मुस्कुराता है।
क्योंकि वह जानता है –
उसकी मुस्कान किसी बच्चे का आत्मबल बन सकती है।
क्या माता-पिता ने कभी यह सोचा है...?
आप जब यह सोचते हैं कि "हम तो बच्चे को स्कूल भेजते हैं, बाक़ी काम तो स्कूल का है",
तो क्या यह कभी सोचा कि स्कूल में वह बच्चा
सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि रिश्तों की गर्माहट भी लेने आता है?
एक ऐसा शिक्षक, जो उसके मन के डर को समझता है,
जो उसकी उदासी की आवाज़ सुनता है।
वो शिक्षक जो सिर्फ पाठ नहीं पढ़ाता,
बल्कि एक सुरक्षित भावनात्मक जगह देता है।
"आपके बच्चे को जब दुनिया समझ नहीं आती, तब वह टीचर की आँखों में अपने लिए एक दुनिया ढूँढ़ता है।"
शिक्षक का प्यार – मौन, लेकिन सबसे गहरा
एक सच्चा शिक्षक अपने ज्ञान के साथ-साथ
अपनी संवेदनाओं को भी कक्षा में लेकर आता है।
वह सिखाता है कि गलतियाँ कैसे स्वीकार की जाएँ,
और गिरकर कैसे उठना है।
वह केवल यह नहीं कहता कि "अच्छे अंक लाओ",
बल्कि यह भी कहता है –
"तुम जैसे हो, वैसे ही खास हो।"
गाँव की मिट्टी, और एक शिक्षक की रोशनी
जहाँ संसाधन कम हैं, वहाँ समर्पण अधिक है।
जहाँ दीवारें टूटी हैं, वहाँ शिक्षक का हौसला बच्चों के सपनों की छत बनता है।
"एक शिक्षक जिसकी जेब में कुछ नहीं, पर दिल में सैकड़ों सपनों की चाबी होती है।"
जब बच्चा घर लौटकर कहता है, “मुझे टीचर ने समझाया…”
तो समझ लीजिए –
उस दिन उसे केवल ज्ञान नहीं,
बल्कि संवेदना का पाठ मिला।
थोड़ी देर ठहरकर सोचिए...
जिसने सिखाया कि "थैंक यू" कैसे बोलते हैं,
जिसने बताया कि "गलती करना गुनाह नहीं, सीखने का पहला कदम है" –
वो शिक्षक क्या केवल नौकरी करने आया था?
नहीं।
वो एक मिशन पर आया था –
आपके बच्चे को अच्छा इंसान बनाने,
और एक ऐसा भविष्य गढ़ने जिसमें करुणा, अनुशासन और आत्मबल हो।
तो क्या आप सच में सौभाग्यशाली नहीं हैं...?
जिन बच्चों को ऐसा शिक्षक मिला, वे जीवनभर धनी रहेंगे – आत्मिक रूप से।
जिन माता-पिता को ऐसा साथी मिला, वे अकेले नहीं हैं –
शिक्षक उनकी जिम्मेदारियाँ बाँट रहा है।
और इस समाज को ऐसे शिक्षक मिलते रहें –
यह दुआ हर माता-पिता को करनी चाहिए।
अंत में एक प्रार्थना, एक प्रेरणा:
अगली बार जब आप अपने बच्चे के स्कूल जाएँ –
तो शिकायत नहीं, सम्मान लेकर जाएँ।
टीचर की आँखों में झाँकिए –
वहाँ शायद आपको अपने बच्चे का भविष्य मुस्कराता दिखे।
"एक शिक्षक कभी सिर्फ पढ़ाता नहीं – वो एक पूरी पीढ़ी को आकार दे रहा होता है।"
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