विचारों और संवाद का संतुलन: वाद-विवाद से बचने का तरीका © 2025 आनन्द किशोर मेहता. सर्वाधिकार सुरक्षित। आजकल के समय में वाद-विवाद और संवाद का असंतुलन एक आम बात बन गई है। हम किसी से असहमत होते हैं, तो तुरंत अपनी राय रखने की प्रवृत्ति रखते हैं। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि क्या यह वाद-विवाद हमारे जीवन में शांति लाता है? क्या यह हमें सच्ची संतुष्टि दे पाता है? अक्सर देखा जाता है कि वाद-विवाद में उलझने से ना केवल मानसिक शांति खो जाती है, बल्कि रिश्तों में भी खटास आ जाती है। अगर हम अपने संवाद को संतुलित, संयमित और सकारात्मक रखें, तो हम न केवल वाद-विवाद से बच सकते हैं, बल्कि जीवन को अधिक शांति और खुशी से जी सकते हैं। इसके लिए हमें अपने विचारों को साफ, सटीक और उद्देश्यपूर्ण बनाने की आवश्यकता है। 1. संवाद की शक्ति और वाद-विवाद से बचाव वाद-विवाद से बचने के लिए सबसे पहले हमें अपने शब्दों का सही चयन करना होगा। बिना सोचे-समझे विचारों को बाहर निकालने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने संवाद को उद्देश्यपूर्ण बनाएं। यदि हम किसी विषय पर असहमत होते हैं, तो उसे शांतिपूर्वक और समझदारी...
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