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एक मासूम की चुप्पी और भविष्य की पुकार

एक मासूम की चुप्पी और भविष्य की पुकार

~ आनंद किशोर मेहता


1. चुप्पी में छिपी पुकार

कभी-कभी कुछ घटनाएँ दिल को भीतर तक झकझोर देती हैं। ऐसा ही अनुभव हाल ही में मेरे साथ हुआ, जब एक मासूम बच्चा—जो प्यारा, सरल और निश्छल था—मेरे स्कूल में पढ़ता था। उसके माता-पिता अत्यंत व्यस्त जीवन जीते हैं। पिता देर रात तक शराब और मौज-मस्ती में डूबे रहते, माँ खेत और रसोई के कामों में दिन-रात लगी रहती। ऐसे माहौल में वह बच्चा पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन उसका दिल कोमल और भावनाएँ गहरी थीं।


2. आत्मिक परिवर्तन की शुरुआत (Inner Transformation)

नर्सरी से कक्षा एक तक उसका प्रदर्शन साधारण रहा, लेकिन कक्षा दो में आते-आते उसमें एक चमत्कारी परिवर्तन दिखा। वह पढ़ाई (Study) के प्रति उत्साहित हो गया। उसकी समझ (Understanding) बढ़ने लगी, आत्मविश्वास (Self-confidence) झलकने लगा।
"यह देखकर मुझे गहरा संतोष हुआ—मानो वर्षों से बोया गया एक बीज अब अंकुरित होकर सूरज की ओर मुस्कुरा रहा हो।”


3. निर्णय का मोड़ (The Turning Point)

लेकिन तभी एक मोड़ आया—उसके पिता के हाथ कुछ पैसे आए, उन्होंने बड़ा बेटा को किसी ‘हॉस्टल’ (Hostel) में डाल दिया और छोटा बच्चा को मेरे स्कूल में ही रहने दिया।

मैंने अत्यंत नम्र स्वर में उनसे कहा, “आपके निर्णय (Decision) सर्वोपरि हैं। आप अपने बच्चों के लिए जो सोचते हैं, वह स्वाभाविक है। परंतु इस बच्चे ने जिस तरह स्वयं को बदला है, वह असाधारण है। मैंने इसे अपने बेटे की तरह पढ़ाया है। मेरा विनम्र निवेदन है कि इस मासूम के साथ ऐसा कोई निर्णय न हो, जो अनजाने में उसके उज्ज्वल भविष्य (Bright Future) की राह को धुंधला कर दे।”


4. भ्रम और वास्तविकता (Illusion vs. Reality)

मैंने उन्हें यह भी समझाया कि—
“सिर्फ नाम बड़ा होना ही बेहतर शिक्षा (Education) की गारंटी नहीं होता। कई बार ये प्रोफेशनल संस्थाएं आपके विश्वास और पैसों का सौदा करती हैं, और अंत में आपके हाथ सिर्फ पछतावा ही आता है।”

"बच्चे के हिस्से का दूध भी अगर पानी बन जाए, तो क्या वह शक्ति विकसित कर पाएगा?”


5. मिट्टी और जड़ें (The Right Environment)

मैंने भावुक होकर कहा—
“आज जिसे आप कमजोर समझ रहे हैं, हो सकता है कुछ वर्षों में यही बच्चा इस स्कूल में रहकर आपके उस ‘हॉस्टल वाले’ बच्चे से कहीं अधिक सक्षम (Capable) और समझदार (Wise) बन जाए।”

"हर पौधे की अपनी मिट्टी होती है—मिट्टी बदलते ही वह मुरझा भी सकता है।”


6. हमारा स्कूल: एक नया दृष्टिकोण (A New Perspective)

सच्चाई यह है कि आज हमारे स्कूल जैसा वातावरण (Environment), जहाँ आधुनिक शिक्षा और भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा का सुंदर समावेश हो, दुर्लभ है।
यहाँ केवल ज्ञान (Knowledge) ही नहीं, संवेदनाएँ (Sensitivity), नैतिकता (Morality), अनुशासन (Discipline) और आत्मबल (Inner Strength) सिखाया जाता है—वह भी प्रेम और अपनापन के साथ।


7. जब मोह जीत जाता है (When Illusion Wins)

पर अफसोस की बात यह है कि कई अभिभावक उस मासूम की चमकते भविष्य को पहचानने की बजाय उसे ‘लक्जरी स्कूलों’ (Luxury Schools) के मोह में खो बैठते हैं।
उन्हें लगता है, “जब बच्चा यहाँ इतना अच्छा कर रहा है तो बड़े स्कूल में और भी तेज निकलेगा।”

लेकिन वे यह भूल जाते हैं—

"कुछ लोगों की सोच इतनी सीमित हो जाती है कि वे इस स्कूल को ही बंद करवा देना चाहते हैं—शायद इसलिए कि उन्हें लगता है, जो उन्हें मिलना था, वह मिल गया, अब किसी और को क्यों मिले?”


8. भविष्य की नींव (Foundation of the Future)

लेकिन सच्चाई यह भी है—
जिन माता-पिता ने अपने बच्चे को यहाँ पाँचवीं कक्षा तक पढ़ाया, वे न केवल अपने बच्चे का भविष्य संवार पाए, बल्कि भारत देश को एक उज्ज्वल, संवेदनशील और सक्षम नागरिक भी दे पाए।

"कई घरों में तीन-चार बच्चे होते हैं—यदि उनमें से एक भी इस स्कूल में पूरे मन से शिक्षा पाए, तो वह अपने पूरे परिवार के जीवन में उजाला भर सकता है।”


9. आत्मचिंतन और दिशा (Reflection and Direction)

मैं बार-बार यही सोचता हूँ—
क्या अभिभावकों को कभी यह समझ नहीं आता कि एक ही घर के दो बच्चों की दिशाएँ इतनी अलग क्यों हो गईं, जबकि उन्हें समान रूप से पढ़ाया गया?

कई बार उन्हें मेरी बातें सही भी लगती हैं, लेकिन कुछ ही समय में फिर उस मोह, उस भ्रम, उस मृगतृष्णा का अंधकार उनकी आँखों पर छा जाता है।


10. अंतिम पुकार: एक दीपक बनाओ (Final Call)

"उठो, जागो, और अपने बच्चों को वह शिक्षा दो जो उन्हें केवल जीवन में आगे नहीं बढ़ाए, बल्कि उन्हें इंसान बनाए—संवेदनशील, आत्मनिर्भर और उज्ज्वल दीपक की तरह। क्योंकि अंधकार में एक दीप ही दिशा दे सकता है, मशीन नहीं।”

© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved..


 Inspirational Thoughts 

  1. हर मौन बच्चा भविष्य की पुकार है।
    Every silent child carries a voice — the voice of a calling future.

  2. शिक्षा केवल अंक नहीं, मानव का संपूर्ण विकास है।
    Education is not about marks, it’s about the growth of the soul.

  3. जिसे आप आज कमजोर समझते हैं, वही कल आपका मार्गदर्शक बन सकता है।
    The one you consider weak today may lead you tomorrow.

  4. सच्ची शिक्षा बच्चे को मशीन नहीं, इंसान बनाती है।
    True education teaches a child to be human, not a machine.

  5. हर पौधे की उर्वरक शक्ति सर्वप्रथम अपनी ही मिट्टी होती है।
    Every plant has its own soil — change it, and the future may wither.

  6. भावना से लिया गया निर्णय जीवन की दिशा बदल सकता है।
    A decision taken with emotion often changes a life.

  7. संवेदनशीलता शिक्षा की सर्वोच्च उपलब्धि है।
    Sensitivity is the highest achievement of education.

  8. प्यार और अपनापन किसी भी पाठ्यक्रम से गहरा असर छोड़ते हैं।
    Love and belonging leave a deeper impact than any curriculum.

  9. जहाँ बच्चा मुस्कुराता है, वहीं उसका भविष्य खिलता है।
    Where a child smiles, there his future blooms.

  10. बड़ा स्कूल नहीं, बड़ा दिल और सही वातावरण ही समृद्धि लाते हैं।
    Not a big school, but a big heart and the right environment build true prosperity.

© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.

यह रचना मेरी मौलिक सोच, अनुभव और लेखनी का संपूर्ण स्वरूप है।
इस लेख का प्रत्येक शब्द मेरे द्वारा स्वयं लिखा गया है — न तो कहीं से लिया गया है, न किसी अन्य का अनुवाद है।
इसकी किसी भी सामग्री का पुनःप्रकाशन, उपयोग, संशोधन या किसी भी रूप में प्रयोग मेरी लिखित अनुमति के बिना विधिसम्मत नहीं है।
यह रचना भारतीय कॉपीराइट अधिनियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों के अंतर्गत पूर्णतः संरक्षित है।


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