दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक”
AUTHOR: ANAND KISHOR MEHTA Gmail:pbanandkishor@gmail.com
कविता:
दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक”. (सेवा के पावन अनुभवों पर आधारित एक सहज और सुंदर कविता).
सेवा का अवसर जब भी मिला, मन प्रेम और आनंद में झूमा, खेतों की इस पुण्य भूमि पर, हर क्षण लगा अमृत के जैसा।
हरियाणा, राजस्थान संग, सटा हुआ यह खेत कैंप, जहाँ प्रेमी जुटे निरंतर, समर्पण का अनुपम संग।
आंचल भाई की सेवा देखी, मन श्रद्धा से भर गया, बिना विश्राम, बिना अवकाश, हर पल सेवा में रमा।
दूर खड़े जब देखा उनको, आँखें श्रद्धा से झुक गईं, निज अहं को त्याग दिया, मालिक की दया-मेहर मिली।
दयालबाग में जागरूकता, सतसंगी सब सेवा में तत्पर, जहाँ चरण पड़े मालिक के, वहीं हुआ सब कुछ पावन।
यमुना तीरे बैठे थे हम, सेवा में जब डूब गया, छः घंटे तक ध्यान लगा, खुद को भी हम भूल गए।
अट्ठाईस जून का शुभ क्षण, जब मालिक के दर्शन पाया, सिर्फ एक गज की दूरी से, प्रेम के सागर में समाया।
यमुना की पावन लहरों पर, नौका विहार का लाभ लिया, इस सेवा के मधुर पथ पर, सच्चा संतोष हमने जिया।
तीस जून का दृश्य निराला, जब प्रेमियों को सेवा में देखा, हर कोई अपने-अपने कर्म में, श्रद्धा और निष्ठा से रमा।
सुबह-दोपहर, शाम-रात, सेवा का क्रम यूं चलता रहा, मालिक की असीम कृपा से, यह अवसर धन्य बना।
जब सेवा समाप्त हुई, प्रेमी लौटे अपने घर, चेहरे पर थी चमक नई, और मन में उत्साह अमर।
हे मालिक! दया मेहर रखना, सेवा का आनंद मिलता रहे, दयालबाग की इस पावन धरा पर, प्रेम और भक्ति फूलता रहे।
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(दिनांक: 23 जून २०२४)
दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक”
(भदेजी सेंटर की कहानी)
सतसंग की सेवा का अवसर पाना स्वयं में एक सौभाग्य होता है, और जब सेवा का स्थान दयालबाग के पवित्र खेत हों, तो यह अवसर एक दिव्य वरदान बन जाता है।
पिछले वर्ष की भांत इस वर्ष भी भदेजी सतसंग सेंटर के छह प्रेमियों को जब २२ जून से १ जुलाई २०२,४ तक दयालबाग खेत सिक्योरिटी सेवा का सौभाग्य प्राप्त हुआ, तो वे हर्ष और श्रद्धा से भर उठे। यह केवल एक सेवा यात्रा नहीं थी, बल्कि जीवन को बदल देने वाला एक आध्यात्मिक अनुभव था।
प्रारंभ: सेवा भूमि पर पहला कदम
दयालबाग पहुँचते ही प्रेमियों ने पाया कि हरियाणा और राजस्थान कैंप एक-दूसरे से सटे हुए थे, और चारों ओर शांति और दिव्यता का अद्भुत वातावरण था। यहाँ की हवा में ही एक अजीब-सी शीतलता और आध्यात्मिक ऊर्जा थी, मानो यह भूमि केवल सेवा और समर्पण के लिए ही बनी हो।
जब प्रेमी अपने सुरक्षा सेवा के दायित्व में लगे, तो उन्हें महसूस हुआ कि यह सेवा केवल शारीरिक परिश्रम नहीं थी, बल्कि यह मालिक के चरणों में पूर्ण आत्मसमर्पण की अनुभूति थी।
आंचल भाई: स्वयं सेवा का प्रतीक
खेत सिक्योरिटी सेवा के प्रभारी प्रेमी भाई आंचल लाल सूरा जी थे। उनके समर्पण को देखकर प्रेमियों के मन में गहरी श्रद्धा और प्रेरणा जाग उठी।
आंचल भाई बिना रुके २४ घंटे सेवा में तल्लीन रहते थे।
कभी किसी ने उन्हें आराम करते नहीं देखा।
"भाई साहब, आप थकते नहीं?"
एक प्रेमी ने जिज्ञासा से पूछा।
वे हल्के से मुस्कुराए और बोले,
"सेवा में थकावट नहीं, केवल आनंद होता है। जब हृदय मालिक की भक्ति में लीन हो, तो विश्राम स्वयं ही तुच्छ हो जाता है।"
यह सुनकर प्रेमियों ने जाना कि सच्ची सेवा वह है, जहाँ तन की नहीं, मालिक की शक्ति काम करती है।
युगल जी: सतत जागरूकता का प्रतीक
प्रेमी भाई युगल जी, जो खेत सिक्योरिटी सेवा के सुपरवाइजर थे, वे भी २४ घंटे सेवा में सतत उपस्थित रहते।
उनकी जागरूकता, समर्पण और अनुशासन को देखकर प्रेमियों को समझ आया कि एक सेवक को हमेशा सतर्क, जागरूक और हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
"सेवा केवल कर्तव्य नहीं, यह मालिक से सीधा जुड़ने का एक माध्यम है।"
युगल जी की यह बात प्रेमियों के हृदय में गहराई तक समा गई।
२६ जून: सेवा में सूरत सिमट गई
२६ जून को एक अद्भुत घटना घटी।
एक प्रेमी यमुना के तट पर सेवा में इतना लीन हो गया कि समय का कोई भान ही न रहा।
लगातार छह घंटे तक वह ध्यानावस्था में बैठा रहा, मानो मालिक की कृपा बरस रही हो।
जब उसकी चेतना लौटी, तो उसने महसूस किया कि यह सेवा केवल बाहरी नहीं, बल्कि एक आंतरिक अनुभव भी है।
"यह सेवा नहीं, यह तो मालिक की गोद में बैठने जैसा था!"
२८ जून: मालिक जी के निकट सेवा का अनुपम सौभाग्य
२८ जून की सुबह एक सर्वोच्च अनुभव लेकर आई।
यमुना नदी में नौका विहार के लिए मालिक जी पधारे।
वैसे तो मुझे मालिक जी के बहुत निकट से सेवा के कई अद्भुत अवसर मिला। लेकिन एक दिन जब मालिक जी नौका विहार के लिए यमुना तट पर तशरीफ लाए तो इस दिन नाव के पास मुझे बिल्कुल पास में सेवा का अदभुत अवसर प्राप्त हुआ ।
सूरत रोमांचित हो उठा।
आँखे दीनता से नम्र हो गई ।
मन ने कहा,
"क्या यह स्वप्न है? या सच में मालिक ने इतनी दया-मेहर कर दी?"
उसी क्षण मुझे समझ आया कि सच्चे प्रेम और सेवा में ही मालिक के साक्षात दर्शन होते हैं।
३० जून: जब सेवा का अर्थ समझ आया
३० जून को प्रेमियों ने कुछ ऐसा देखा, जिसने उनके मन में सेवा का वास्तविक अर्थ स्पष्ट कर दिया।
दयालबाग के प्रत्येक कोने में प्रेमी सेवा में लीन थे—
कोई खेतों में, कोई स्वच्छता अभियान में, तो कोई भोजन सेवा में।
हर व्यक्ति अपने-अपने कार्य में पूर्ण रूप से समर्पित था।
"यहाँ तो कर्मयोग जीवंत रूप में प्रकट हो गया है!"
प्रेमियों का सिर स्वयं झुक गया।
यह देखकर उन्होंने जाना कि सेवा केवल एक कार्य नहीं, यह जीवन जीने की एक पद्धति है।
१ जुलाई: "सेवा का पवित्र प्रकाश रोम-रोम बस गई।"
दस दिनों की सेवा के बाद, भदेजी सेंटर के दो बुजुर्ग प्रेमी घर लौटने को तैयार थे।
उनके कंधे पर भारी बैग थे, पर उनके चेहरे पर थकान की जगह संतोष और ऊर्जा की चमक थी।
"हम लौट तो रहे हैं, पर हमारा मन यहीं रह गया है।"
एक प्रेमी ने भावुक होकर कहा।
यह केवल एक सेवा यात्रा नहीं थी, यह जीवनभर की एक अनमोल स्मृति बन गई।
सेवा का सार: एक अमर शिक्षा
दयालबाग खेत सिक्योरिटी सेवा ने प्रेमियों को यह सिखाया कि—
सेवा केवल शारीरिक परिश्रम नहीं, यह आत्मिक उन्नति का मार्ग है।
जब सेवा समर्पण और निष्ठा से की जाए, तो मालिक स्वयं उसे स्वीकार करते हैं।
सच्चा सेवक वह नहीं जो केवल कार्य करता है, बल्कि वह है जो हृदय से मालिक के चरणों में स्वयं को अर्पित कर देता है।
यह सेवा पूरी तो हो गई, पर इसका प्रभाव जीवनभर प्रेमियों के हृदय में अमिट रहेगा।
समर्पण की यह कहानी हर प्रेमी के लिए प्रेरणा बनेगी।
क्योंकि सेवा केवल एक कर्म नहीं, यह स्वयं मालिक से मिलने का मार्ग है।
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कविता "दयालबाग खेत सिक्योरिटी सेवा 2024" की विषय-वस्तु:
यह कविता सेवा, समर्पण, भक्ति, और आध्यात्मिक आनंद को दर्शाती है। इसमें दयालबाग के खेतों में सिक्योरिटी सेवा के दौरान प्राप्त अनुभवों और भावनाओं को सहज और हृदयस्पर्शी रूप में प्रस्तुत किया गया है।
मुख्य विषय-वस्तु:
1. सेवा का दिव्य अनुभव – खेत सेवा को एक पावन अवसर के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जहाँ प्रेम और आनंद का संचार होता है।
2. समर्पण और निःस्वार्थ सेवा – सतसंगियों द्वारा निष्ठा और बिना किसी स्वार्थ के सेवा करने का वर्णन किया गया है।
3. श्रद्धा और भक्ति – सेवा में लगे व्यक्तियों के प्रति सम्मान और उनके समर्पण को देखकर मन श्रद्धा से भर जाता है।
4. संतोष और आध्यात्मिक उपलब्धि – सेवा के दौरान ध्यान और संतोष के अनुभव को विशेष रूप से दर्शाया गया है।
5. दयालबाग और यमुना तट का सौंदर्य – प्रकृति के सुंदर दृश्य, नौका विहार, और सेवा स्थल की पवित्रता को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
6. मालिक की कृपा और आशीर्वाद – यह पूरी कविता मालिक (ईश्वर) की कृपा और उनकी दया-मेहर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है।
7. समाप्ति का उल्लास – सेवा के समापन के बाद प्रेमियों के चेहरे की चमक और मन में उत्साह को दर्शाते हुए, पुनः सेवा प्राप्त करने की कामना की गई है।
निष्कर्ष:
यह कविता दयालबाग खेत सिक्योरिटी सेवा के दौरान प्राप्त आध्यात्मिक आनंद, प्रेम, समर्पण और भक्ति का सुंदर चित्रण करती है। यह सेवा के महत्व और उसकी पवित्रता को हृदय में गहराई से अनुभव कराती है।
Author: Anand Kishor Mehta
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