(भाग दूसरा) दयालबाग : सेवा, विज्ञान और साधना का समन्वित जीवन :-
प्रस्तावना
(दयालबाग: सेवा, विज्ञान और साधना का समन्वित जीवन)
दयालबाग केवल एक स्थान नहीं, एक जीवन-दर्शन है — एक ऐसा सजीव आदर्श, जहाँ सेवा, विज्ञान और साधना का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह वह भूमि है, जहाँ मनुष्य केवल सांसें नहीं लेता, बल्कि हर श्वास को सार्थकता प्रदान करता है। यहाँ जीवन यापन नहीं, बल्कि जीवन का उत्कर्ष लक्ष्य होता है।
दयालबाग की आत्मा सेवा में निहित है — निःस्वार्थ, निरंतर और समर्पित सेवा, जो न किसी प्रचार की आकांक्षा रखती है, न ही किसी पुरस्कार की प्रतीक्षा करती है। यहाँ का विज्ञान भी केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि समाजोत्थान का माध्यम है — जो शिक्षित करता है, परिष्कृत करता है और जीवन को अधिक उपयोगी बनाता है। साधना यहाँ केवल ध्यान-कक्षों की सीमा में नहीं, बल्कि हर कर्म, हर विचार और हर संबंध में समाहित है — कर्म ही भक्ति है, यही इसका मर्म है।
इस खंड के लेखों में दयालबाग के उसी समग्र और संतुलित जीवन-दर्शन की झलक प्रस्तुत की गई है। यहाँ के अनुभव न केवल प्रेरणा देते हैं, बल्कि यह विश्वास भी जगाते हैं कि यदि नीयत शुद्ध हो, और दिशा स्पष्ट हो — तो एक आदर्श समाज केवल स्वप्न नहीं, बल्कि साकार किया जा सकता है।
दयालबाग यही सिखाता है — कि जब सेवा में श्रद्धा हो, विज्ञान में विवेक हो, और साधना में समर्पण हो — तब जीवन न केवल सुंदर होता है, बल्कि समाज के लिए प्रकाश का स्रोत बन जाता है।
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
1. दयालबाग: मानवता की सजीव प्रयोगशाला
दयालबाग कोई मात्र बस्ती नहीं, यह जीवन का एक आदर्श मॉडल है – जहाँ मनुष्यत्व, आध्यात्मिकता, विज्ञान और सेवा का गहन समन्वय है। यहाँ हर व्यक्ति ‘सबका भला’ के सिद्धांत पर चलता है। यह एक ऐसी Community of Conscience है, जहाँ आत्मा और समाज दोनों का कल्याण सर्वोच्च ध्येय है।
सहजीवन की परिपूर्णता
दयालबाग में सब कुछ साझा है – श्रम, संसाधन, उद्देश्य और चेतना। यहाँ कोई अकेला नहीं, सब एक-दूसरे के लिए हैं। महिलाएँ, पुरुष, बच्चे, बुज़ुर्ग – सभी किसी न किसी रूप में सेवा में लगे रहते हैं। सेवा-सप्ताह हो या रोज़मर्रा की सफाई – यहाँ श्रम को पूजा का रूप दिया गया है।
विज्ञान और आध्यात्म का संगम
जहाँ DEI जैसे उच्च शिक्षण संस्थान cutting-edge research में विश्वस्तरीय कार्य कर रहे हैं, वहीं सुबह-सुबह आरती, सत्संग और ध्यान में आध्यात्मिक उन्नति होती है। ऐसा संतुलन आधुनिकता और मूल्यों का दुर्लभ उदाहरण है।
संगठित व्यवस्था, अनुशासित जीवन
एक ऐसा स्थान जहाँ समय का पूर्ण पालन होता है। चाहे भोजन हो, भजन हो या सभा – हर गतिविधि अनुशासन और शांति से संचालित होती है। अनुशासन यहाँ भय से नहीं, प्रेम और स्व-संयम से उपजता है।
प्राकृतिक सौंदर्य में बसती चेतना
सड़कें फूलों से सजी होती हैं, हर कोना स्वच्छ रहता है। यहाँ की हरियाली और सुंदरता न केवल आँखों को तृप्त करती है, बल्कि मन को भी शांत करती है। पक्षियों का कलरव, और बिना शोर की दिनचर्या – यह सब आत्मिक सुख देता है।
नवाचार, परंतु परंपरा के साथ
बायोगैस, सोलर पैनल, AI रिसर्च – ये सब यहाँ के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, परंतु इसके साथ ही परंपराओं का सम्मान, भक्ति की गहराई और गुरुओं की शिक्षाओं का पालन भी उतना ही प्रमुख है।
दयालबाग एक मिसाल है कि आदर्श समाज केवल कल्पना नहीं, जीवंत यथार्थ भी हो सकता है – यदि नीयत साफ हो, और सबका साथ-सबका विकास सच में उद्देश्य बन जाए।
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
~ आनंद किशोर मेहता
हर समाज को आगे बढ़ाने के लिए जिस आधार की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, वह है – निःस्वार्थ सेवा। ऐसी सेवा, जो किसी दिखावे या लाभ की अपेक्षा से नहीं, बल्कि करुणा और संवेदना से उत्पन्न होती है। इसी सच्चे भाव की प्रतिमूर्ति है — शरण आश्रम हॉस्पिटल, जो दयालबाग, आगरा में स्थित एक धर्मार्थ चिकित्सा संस्थान है।
यह अस्पताल केवल ईंटों और दीवारों की एक संरचना नहीं, बल्कि राधास्वामी सतसंग सभा की उस सजीव चेतना का प्रतीक है, जो मानवता की सेवा को ही सर्वोच्च आध्यात्मिक साधना मानती है। यहाँ आने वाला हर मरीज न केवल उपचार प्राप्त करता है, बल्कि एक आत्मीय स्पर्श, एक शुद्ध वातावरण और एक आत्मबल भी साथ ले जाता है।
सेवा के स्तंभ पर खड़ा एक अस्पताल
इस अस्पताल की सबसे बड़ी विशेषता है — नि:शुल्क उपचार। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए वरदान है, जो महंगे चिकित्सा संस्थानों तक पहुँचने में असमर्थ होते हैं। चाहे कोई महिला प्रसव के लिए आए, कोई बुज़ुर्ग आँखों की जाँच कराना चाहता हो या कोई गरीब दंत पीड़ा से परेशान हो — यहाँ सभी को सम्मान और सहानुभूति के साथ चिकित्सा सेवा प्रदान की जाती है।
यहाँ केवल एलोपैथिक नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधालय भी संचालित हैं, जो लोगों को वैकल्पिक चिकित्सा का विकल्प देते हैं। यह एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा की भी देखभाल होती है।
दयालबाग की सामूहिक चेतना
दयालबाग एक आत्मनिर्भर और आध्यात्मिक समुदाय है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति सेवा को अपना धर्म मानता है। शरण आश्रम हॉस्पिटल इसी सामूहिक सेवा भावना का सजीव उदाहरण है। यहाँ की सफ़ाई, दवाइयों का वितरण, रिकॉर्ड रखरखाव और रोगी सेवा — सब कुछ समर्पित स्वयंसेवकों और समुदाय के सहयोग से चलता है।
यह केवल इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि यह सिखाता है कि जब सेवा को साधना बना दिया जाए, तब जीवन में कैसा अलौकिक परिवर्तन आता है।
एक प्रेरणा, एक संदेश
इस संस्थान से हमें यह सीख मिलती है कि स्वास्थ्य सेवा केवल लाभ का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा का सर्वोच्च रूप हो सकता है। यह अस्पताल हमें एक नई दृष्टि देता है — कि एक शांत, सादा और आध्यात्मिक जीवन जीते हुए भी, हम समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
तो आइए, हम भी अपने जीवन के किसी कोने में यह ज्योति जलाएँ — सेवा की, करुणा की और सच्चे मानवीय प्रेम की।
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3. वैज्ञानिक अनुसंधान व नवाचार में योगदान
"ज्ञान जब संस्कारों की छाया में पले, तो नवाचार मानवता का दीपक बनता है।"
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट (DEI) मात्र एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि ज्ञान, सेवा और साधना का संगम है। यहाँ अनुसंधान केवल प्रयोगशालाओं की दीवारों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँची प्रेरक ऊर्जा बन चुका है।
सेवा-संस्कार में रचा-बसा विज्ञान
DEI में वैज्ञानिक अनुसंधान का हर आयाम संस्कार और सामाजिक चेतना से जुड़ा होता है। यहाँ Innovation का अर्थ तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि सार्वजनिक कल्याण होता है।
- ग्रीन एनर्जी में पर्यावरण-संवेदनशील समाधान
- AI और डेटा विज्ञान से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना
- स्मार्ट कृषि में किसानों के लिए व्यवहारिक तकनीक
- ISRO, DRDO, IIM और IITs के साथ सक्रिय सहयोग
SDGs की ओर सार्थक कदम
संस्थान ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को केवल पाठ्यक्रम का भाग नहीं, बल्कि जीवन शैली का अंग बना दिया है। छात्रों से लेकर शोधकर्ताओं तक, सभी का प्रयास यही है — प्रकृति और प्रगति में संतुलन।
नवाचार में आध्यात्मिक दृष्टिकोण
दयालबाग में शोध कार्य को साधना माना जाता है। यहाँ के वैज्ञानिक सत्य, सादगी और सेवा की भावना से प्रेरित होकर कार्य करते हैं। जब आत्मिक संतुलन विज्ञान से जुड़ता है, तब नवाचार केवल तकनीक नहीं, बल्कि करुणा का माध्यम बनता है।
वैश्विक पहचान, लेकिन मूलभूत विनम्रता
DEI के नवाचारों को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, सम्मान और उच्च संस्थानों की साझेदारी प्राप्त है, परंतु इसके मूल में है – निःस्वार्थ सेवा का भाव, जो इसे अन्य संस्थानों से विशिष्ट बनाता है।
दयालबाग सिद्ध करता है:
“विज्ञान, जब मूल्यों के साथ जुड़ता है, तो वह केवल विकास नहीं, बल्कि दिशा देता है — एक उज्जवल, समतामूलक और संवेदनशील विश्व की दिशा।”
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4. दयालबाग: शोध और नवाचार की नई दिशा
~ आनंद किशोर मेहता
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट (DEI) आज शिक्षा का एक ऐसा अद्वितीय केंद्र बन चुका है, जहाँ ज्ञान, सेवा और अनुसंधान का समन्वय दिखाई देता है। यहाँ हो रहा हर कार्य न केवल विज्ञान के लिए, बल्कि मानवता की सेवा के लिए भी समर्पित है।
सतत विकास और नवाचार पर केंद्रित अनुसंधान
DEI का अनुसंधान अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण, समाजोन्मुखी बदलाव और टिकाऊ विकास की दिशा में अग्रसर है।
"अन्वेषणा 2025" में उत्कृष्ट प्रदर्शन
संस्थान की छात्र-शोधकों ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि नवाचार और सामाजिक चेतना का संगम संभव है।
चेतना विज्ञान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
‘चेतना के विकासीय विज्ञान’ पर हुए सम्मेलन ने विश्व को बताया कि DEI का शोध केवल भौतिक नहीं, आत्मिक और चेतनात्मक विकास की ओर भी अग्रसर है।
पीएच.डी. में नवाचार परीक्षण
DEI का यह नया कदम पारंपरिक चयन पद्धतियों से हटकर शोधार्थियों की मौलिक सोच और सृजनात्मकता को प्राथमिकता देता है।
वर्चुअल लैब्स में भागीदारी
ग्रामीण और दूरस्थ विद्यार्थियों के लिए विज्ञान की पहुँच संभव बनाना DEI की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।
"पहल होराइजन" अनुसंधान जर्नल
संस्थान द्वारा प्रकाशित यह पत्रिका नवाचार, चेतना और शिक्षा के क्षेत्र में उभरते विचारों को मंच प्रदान करती है।
चेतना विज्ञान पर शीतकालीन सत्र
वर्षांत में आयोजित यह विशेष सत्र छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों को चेतना विज्ञान की नवीन धाराओं से जोड़ता है।
दयालबाग का यह समर्पित प्रयास सिद्ध करता है कि जब शोध सेवा से जुड़ता है, तो वह समाज को दिशा और विश्व को समाधान देता है।
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