दिल की खामोशी और जीवन की सच्चाई
(A Soul-Touching Reflection)
कभी-कभी जीवन के शोर में सबसे स्पष्ट आवाज़... खामोशी होती है।
वो खामोशी जो शब्दों से परे होती है – जो सीधे अंतरात्मा से बात करती है।
जब सब कुछ पास होकर भी अधूरा लगे,
तो समझो रूह किसी और ऊँचाई को छूना चाहती है।
"जब दिल खामोश हो जाए, तो समझो वह सबसे गहरा सच बोल रहा है।"
हम रोज़ हँसते हैं, बोलते हैं, मिलते हैं...
पर क्या कभी अपने भीतर झाँक कर देखा है?
वहाँ एक मासूम दिल बैठा है,
जिसने बचपन से अब तक सिर्फ एक ही चीज़ चाही है –
सच्चा प्रेम।
ना वह दिखावे का प्रेम,
ना शर्तों में बँधा हुआ प्रेम,
बल्कि एक निर्विकार, निर्मल, रूहानी प्रेम,
जो बिना कुछ माँगे, बस बाँटना जानता है।
"सच्चा प्रेम वह है जो छूता भी नहीं, लेकिन फिर भी दिल को बदल देता है।"
हम अपने संघर्षों में इतने उलझ गए हैं
कि जीवन की असल सुंदरता छूट गई —
किसी की आँखों में सुकून देना,
किसी के आँसू पोंछ देना,
और बिना बोले किसी का हाथ थाम लेना।
"जिसने दूसरों के दर्द को बिना कहे समझा, वही इंसानियत की ऊँचाई पर है।"
आज अगर दुनिया सुंदर लग रही है,
तो शायद इसलिए कि
किसी ने कहीं मौन में प्रार्थना की होगी,
किसी ने किसी के लिए दिल से दुआ माँगी होगी।
"मौन की प्रार्थना, सबसे ऊँची पुकार होती है – जो सीधे ईश्वर तक पहुँचती है।"
यही छोटी-छोटी बातें हमें इंसान नहीं,
इंसान से ऊपर – एक प्रकाश, एक प्रेम, एक संदेश बना देती हैं।
दिल की खामोशी (कविता)
दिल की खामोशी कुछ कहती है,
मौन में भी बात बहती है।
शब्द नहीं, पर अर्थ गहरे,
इन साँसों में रूहें रहती हैं।
जब सब होते हैं आसपास,
फिर भी मन होता है उदास,
तो समझो कोई पुकार रही है,
भीतर कोई राह निहार रही है।
ना दौलत चाहिए, ना ताज चाहिए,
दिल को बस थोड़ा सा साज़ चाहिए।
एक मुस्कान जो सच में हो,
एक छाया जो सुकून से भरी हो।
कोई तो हो जो बिना बोले समझे,
भीड़ में भी तन्हाई को परखे।
जिसके मौन में प्रेम की भाषा हो,
हर छूते अहसास में आशा हो।
चलो आज कुछ पल रुक जाएँ,
इस भागती दुनिया से हट जाएँ।
थोड़ा प्रेम बाँट लें सबको,
थोड़ा खुद को भी समझ जाएँ।
आइए,
इस जीवन को सिर्फ जीने का माध्यम नहीं,
प्रेम बाँटने का अवसर बनाएँ।
क्योंकि आखिर में,
ना कोई बड़ी बात याद रहती है,
ना धन, ना मान,
बस वो एहसास ज़िंदा रहता है
जो आपने किसी टूटे हुए दिल को दिया था।
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