प्रकाश से प्रकाशित एवं हम स्कूल चले
~ आनंद किशोर मेहता (Anand Kishor Mehta)
From Inner Radiance to Universal Light
"क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटी-सी लौ भी गहरे अंधकार को चुनौती दे सकती है?"
1. स्वयं प्रकाशित हुए बिना दूसरों को रोशन नहीं किया जा सकता।
अंधकार से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है—ज्ञान और प्रेम का दीप जलाना। जब हम अपने भीतर सत्य, सद्भाव और करुणा की ज्योति प्रज्वलित करते हैं, तभी हम इसे औरों तक पहुँचा सकते हैं।
2. ज्ञान का दीपक अज्ञान के अंधकार को मिटा सकता है।
शिक्षा केवल सूचनाएँ भरने का नाम नहीं, बल्कि यह चेतना के जागरण की प्रक्रिया है। जब हम किसी को सच्चा ज्ञान देते हैं, तो हम केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरी मानवता को प्रकाशित कर रहे होते हैं।
3. दीप से दीप जलता है, प्रेम से प्रेम बढ़ता है।
प्रकाश का स्वभाव है कि बाँटने से यह कम नहीं होता, बल्कि और अधिक फैलता है। जब हम प्रेम, दया और करुणा को बाँटते हैं, तो यह भी अनंत रूप से विस्तारित होते जाते हैं।
4. जो दूसरों को प्रकाशित करता है, वह स्वयं और अधिक उज्ज्वल हो जाता है।
सूर्य स्वयं प्रकाशमान रहता है और संपूर्ण सृष्टि को रोशन करता है। उसी तरह, जो व्यक्ति दूसरों को ज्ञान, प्रेम और प्रेरणा देता है, वह स्वयं भी आंतरिक प्रकाश से भर जाता है।
5. सत्य, अहिंसा और प्रेम – सबसे उज्ज्वल प्रकाश हैं।
बाहरी दीपक से केवल भौतिक प्रकाश मिलता है, लेकिन आत्मा का दीपक सत्य, अहिंसा और प्रेम से जलता है। यही वह ज्योति है, जो अंधकार को हमेशा के लिए मिटा सकती है।
समाप्ति – एक विचारणीय सत्य
"एक दिया दूसरे को जलाए, तो दोनों प्रकाशित होते हैं। इसी तरह, जब हम दूसरों को ज्ञान, प्रेम और प्रेरणा देते हैं, तो हम भी और अधिक प्रकाशित हो जाते हैं।"
तो आइए, पहले स्वयं को प्रकाशित करें और अपने प्रकाश से पूरे विश्व को आलोकित करें!
हम स्कूल चले: शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
~ आनंद किशोर मेहता
शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है। यह केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन को सँवारने और बेहतर भविष्य गढ़ने का माध्यम भी है। जब हम "हम स्कूल चले" कहते हैं, तो यह मात्र एक वाक्य नहीं, बल्कि एक संकल्प है—ज्ञान प्राप्त करने, अपने सपनों को साकार करने और समाज को नई दिशा देने का।
शिक्षा का महत्व
विद्यालय केवल अध्ययन का स्थान नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण की प्रयोगशाला भी है। यहाँ हम गणित और विज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्य, अनुशासन, सहअस्तित्व और जीवन के अनमोल पाठ भी सीखते हैं।
स्कूल जाने के प्रमुख लाभ:
- ज्ञान का विस्तार – स्कूल में हम केवल किताबों से ही नहीं, बल्कि अनुभवों से भी सीखते हैं।
- व्यक्तित्व विकास – आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कौशल विकसित होते हैं।
- नैतिक मूल्यों का विकास – स्कूल हमें ईमानदारी, सहयोग और सद्भावना का पाठ पढ़ाता है।
- उज्ज्वल भविष्य की राह – अच्छी शिक्षा जीवन में नए अवसरों के द्वार खोलती है।
- राष्ट्र निर्माण में योगदान – शिक्षित नागरिक देश की प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हर बच्चे को मिले शिक्षा का अवसर
आज भी कई बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। गरीबी, सामाजिक असमानता और जागरूकता की कमी के कारण वे स्कूल नहीं जा पाते। यह हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल खुद शिक्षा प्राप्त करें, बल्कि जरूरतमंद बच्चों को भी स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें।
हमारा संकल्प: चलो स्कूल!
आइए, हम सब मिलकर यह प्रण करें कि हम न केवल स्वयं शिक्षा प्राप्त करेंगे, बल्कि अपने आसपास के बच्चों को भी शिक्षित करने में सहयोग देंगे। एक शिक्षित समाज ही सशक्त राष्ट्र की नींव रख सकता है।
"शिक्षा का दीप जलाएँ, स्कूल जाएँ, और उज्ज्वल भविष्य बनाएँ!"
शिक्षा पर मौलिक विचार (Education Thoughts)
- "शिक्षा केवल ज्ञान का संकलन नहीं, बल्कि विवेक का विकास है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "सच्ची शिक्षा वह है जो हमें स्वतंत्र रूप से सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता दे।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "शिक्षा का उद्देश्य केवल अच्छी नौकरी पाना नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनाना भी है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "जब शिक्षा संस्कारों से जुड़ती है, तब समाज में सच्चा परिवर्तन आता है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "शिक्षा का वास्तविक मूल्य डिग्री में नहीं, बल्कि व्यक्ति के आचरण में प्रकट होता है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "जिस शिक्षा से व्यक्ति का चरित्र न बने, वह अधूरी शिक्षा है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "एक शिक्षित व्यक्ति समाज का दीपस्तंभ होता है, जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।" ~ आनंद किशोर मेहता
- "सफल शिक्षा वह है जो विचारों को खोलने के साथ-साथ दिल को भी विशाल बनाती है।" ~ आनंद किशोर मेहता
ज्ञान की ओर कदम बढ़ाएँ, चलो स्कूल जाएँ।
शिक्षा का दीप जलाएँ, स्कूल चले जाएँ।
हमारा भविष्य, हमारी शिक्षा – हम स्कूल चले।
बचपन का सुनहरा पल, जब हम स्कूल चले।
शिक्षा है अनमोल, इसे न करें गोल – चलो स्कूल।
हर दिन नया सवेरा, जब हम स्कूल चले।
स्कूल की राह, उज्ज्वल भविष्य की चाह।
चलो स्कूल, सपनों की उड़ान भरें।
शिक्षा ही शक्ति है, हम स्कूल चले।
ज्ञान का द्वार खुला है, हम स्कूल चले।
समाप्ति – शिक्षा और प्रकाश का संदेश
"ज्ञान और प्रकाश का संयोग ही सच्चा उत्थान है। जब हम स्वयं प्रकाशित होते हैं, तभी समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलता है। और जब हम शिक्षा को अपनाते हैं, तभी एक उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी जाती है।"
आइए, पहले स्वयं को प्रकाशित करें और अपने प्रकाश से पूरे विश्व को आलोकित करें। साथ ही, शिक्षा के दीप जलाकर भविष्य को सुनहरा बनाएँ!
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