ज्ञान की किरने: शिक्षा से चमकता भारत, मुस्कुराता विश्व
(A Ray of Hope for Humanity)
हर सुबह एक नई उम्मीद लेकर आती है,
लेकिन उस उम्मीद को आकार देती है — एक सच्ची शिक्षा।
बचपन कोई कच्ची मिट्टी नहीं,
बल्कि वह जड़ है जिससे पूरा जीवन पनपता है।
और यदि जड़ ही उपेक्षित रह जाए,
तो फिर कितना भी पानी दो, पेड़ कभी फल नहीं देगा।
भारत का भविष्य उसके बच्चों में छिपा है,
और बच्चों का भविष्य — एक ऐसी शिक्षा में,
जो केवल सिखाए नहीं, जीना सिखाए।
सही शिक्षा: जो मन छुए, मस्तिष्क बदले और हृदय को दिशा दे
शिक्षा कोई बोझ नहीं,
वह तो एक आनंद यात्रा है —
जहाँ हर बच्चा अपने भीतर की ज्योति को पहचानता है।
किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण है,
पर जब तक उसमें संवेदना और जीवन के मूल्यों का स्पर्श न हो,
वह अधूरा ही रहता है।
बच्चे को "अच्छा विद्यार्थी" बनाना सरल है,
पर उसे "अच्छा इंसान" बनाना ही असली शिक्षा है।
बचपन की दुनिया: भय नहीं, विश्वास चाहिए
हर बच्चा चाहता है कि कोई उसे सुने,
कोई उसे समझे,
कोई बिना डाँटे, बस मुस्कराकर उसकी पीड़ा को बाँट ले।
स्कूल ऐसा हो जहाँ भय की दीवारें नहीं,
बल्कि विश्वास के पुल हों।
जहाँ शिक्षक पाठ न पढ़ाए,
बल्कि जीवन के गीत गुनगुनाए।
कुछ विचार, जो प्रकाश बन जाएँ
- शिक्षा तब सार्थक है, जब वह किताब से निकलकर जीवन में उतर जाए।
- बचपन को प्रेम दो, भविष्य खुद-ब-खुद सँवर जाएगा।
- जब बच्चा मुस्कराकर स्कूल आए, तभी समझो शिक्षा सफल है।
- जो शिक्षक केवल सिखाते हैं, वे ज्ञानी हैं। जो बच्चे के भीतर दीप जलाते हैं, वे निर्माता हैं।
भारत का स्वप्न: संपूर्ण विश्व के लिए वरदान
एक ऐसा भारत…
जो केवल शक्तिशाली नहीं,
संवेदनशील, सेवामयी और संपूर्ण मानवता का पथप्रदर्शक बने।
जहाँ के हर विद्यालय से उठे प्रार्थना की एक ही गूंज:
“हम विश्व को आलोक दें।”
और विश्व झुककर कहे:
“भारत, तुम्हारा स्वागत है — तुम जीवन के अमृत हो।”
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