सरल स्वभाव को कमजोरी न समझें
आज के समय में अक्सर यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति विनम्र, शांत और सरल होता है, उसे लोग कमजोर समझने की भूल कर बैठते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि सरलता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक गहरा संस्कार है — आत्मबल, संयम और विवेक का प्रतीक।
सरल व्यक्ति किसी से डरकर शांत नहीं रहता, वह अपने भीतर के संतुलन और सशक्त संस्कारों के कारण शांति को चुनता है। वह प्रतिक्रिया देने के बजाय प्रत्युत्तर में प्रेम और धैर्य का मार्ग अपनाता है। यह मार्ग आसान नहीं होता, लेकिन यही उसे दूसरों से विशेष बनाता है।
याद रखिए,
जो सरल है, वही सबसे मजबूत है।
क्योंकि उसे दिखावा नहीं करना पड़ता,
वह जो है, वही सामने होता है।
इसलिए किसी सरल व्यक्ति को कभी कम न आँकें,
क्योंकि जब समय आता है, तो वही सबसे बड़ी मिसाल बनता है।
सरलता मेरा अभिमान है (कविता)
न समझो मुझको कमजोर कभी,
ये चुप्पी मेरी पहचान है।
संस्कारों में पला बढ़ा मैं,
सरलता ही मेरी शान है।
न उत्तर दूँ हर कटु वचन का,
न रोष दिखाऊँ बात-बात पर,
धैर्य है मेरा आभूषण,
और शांति है मेरी पतवार पर।
तू ललकारे, मैं मुस्काऊँ,
तू ताने दे, मैं गहराऊँ,
तेरे शोर में नहीं घबराता,
मैं सच्चाई से ही नाता बाँधूं।
कमजोर समझे जो मुझको,
उससे बस इतना कहना है—
जिसमें हो सरलता की ताक़त,
वो भीतर से इक गहना है।
मैं न झुकता, न तोड़ता हूँ,
मैं बस खुद को ओढ़ता हूँ,
जो देख सके मन की गहराई,
वही समझे, मैं क्या बोलता हूँ।
सरल हूँ, मगर निर्बल नहीं,
मैं शांत हूँ, पर निर्जीव नहीं।
मेरे संस्कार मेरी शक्ति हैं,
मैं प्रेम से जीता, हारता नहीं।
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सरल स्वभाव वाले व्यक्ति को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए... सरलता उसका संस्कार है, कमजोरी नहीं !
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