ऊपर से सख्त, भीतर से विनम्र
~ आनंद किशोर मेहता
कई लोग ऐसे होते हैं जो बाहर से कठोर और अनुशासनप्रिय प्रतीत होते हैं, पर भीतर से अत्यंत संवेदनशील, कोमल और करुणामय होते हैं। यह कोई विरोधाभास नहीं, बल्कि एक संतुलित व्यक्तित्व की निशानी है।
बाहरी सख्ती उनके अनुभवों की उपज होती है — जीवन में मिले धोखे, उपेक्षा या जिम्मेदारियों की गंभीरता ने उन्हें दृढ़ बनना सिखाया होता है। जबकि उनकी आंतरिक विनम्रता एक शुद्ध अंतःकरण और भावनात्मक समझदारी का परिचायक होती है। वे हर किसी को हानि पहुँचाने से बचते हैं, परंतु ज़रूरत पड़ने पर सच्चाई और अनुशासन के लिए अडिग रहते हैं।
ऐसे लोग जीवन में मर्यादा, अनुशासन और प्रेम का संतुलन बनाए रखते हैं। वे न तो दिखावे के दयालु होते हैं, न ही क्रूर हृदय वाले। वास्तव में, यही संतुलन उन्हें समाज में एक सच्चे मार्गदर्शक और भरोसेमंद व्यक्तित्व बनाता है।
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
दिल की गहराई
~ आनंद किशोर मेहता
मैं बाहर से सख्त जरूर हूँ,
पर दिल में इक रौशनी भरपूर हूँ।
मेरे लफ्ज़ कभी तीखे लगते हैं,
मगर हर बात में दुआ रखते हैं।
मैं चुप रहता हूँ, शोर नहीं करता,
हर दर्द को हँसकर सहता रहता।
जो समझे दिल की गहराई,
वो जाने – मैं हूँ सच्ची भलाई।
मैंने दुनिया से कुछ ना माँगा,
बस सबके लिए प्यार ही बाँटा।
जो दिखता हूँ, वो सिर्फ़ परदा है,
भीतर तो बस भावों का दरिया है।
मैं गिरा नहीं, बस झुका हूँ थोड़ा,
संवेदनाओं से खुद को जोड़ा।
जिसने भीतर झाँक लिया एक बार,
उसने पाया – मैं हूँ बस प्यार।
THOUGHTS:
लोग जो मुझे पत्थर समझते हैं,....काश वो देख पाते — मैं भीतर से पानी हूँ।
मुझे न पहचानो मेरे लहजे से,.....कभी मेरी चुप्पी से बात करने की कोशिश करो।
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