2025 की मौलिक भेंट: आभार, प्रेम और प्रकाश के विचार
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
मैंने जिसे अपना दोस्त समझा, वही मेरी तकलीफ का किस्सा बना गया
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
मैं दर्द को बाँटने आया था, वो दर्द में राज़ ढूंढने लगा।
मैंने अपनी तकलीफ को शब्दों में उतारा, और वो उन शब्दों को औज़ार बना लाया।
जिसे मैंने “मेरे हालात का गवाह” समझा, वही “मेरे हालात का गुनहगार” निकला।
मैंने अपने ज़ख्म दिखाए ताकि मलहम मिले, पर वो तो नापने लगा—कहाँ से ज़्यादा चुभेगा खंजर।
जिसे अपने दर्द की चाबी सौंपी थी, उसने तिजोरी ही तोड़ दी।
मैंने हर बात बताई थी उसे रोते हुए, और उसने हर बात दोहराई थी दूसरों से हँसते हुए।
तू मेरी तड़प में कभी रुका नहीं, शायद इसलिए कि तुझे मेरी तड़प से ही चैन मिलता था।
मैंने तुझे भगवान समझा, तुझे पुकारा, और तू मुझे याचक समझ कर खेलता रहा।
तू मुस्कराता रहा मेरी टूटन पर, और मैं समझता रहा कि तू मुझे संभाल रहा है।
जिसे पुकारा था मैंने रात के अँधेरों में, उसी ने उजाले में मेरा अपमान रच दिया।
मैंने अपना दुख तूफ़ान समझकर उड़ाया था, पर तू तो उस तूफ़ान में पतंग उड़ा रहा था।
मेरे आँसू तुझे मेरे विश्वास की मोहर लगे, पर तू उन्हें स्याही बना लाया मेरी कहानी लिखने के लिए—तेरे ढंग से।
मेरे "क्यों" के जवाब ढूंढने की जगह, तूने मेरा "कैसे गिरा दूँ" का रास्ता सोचा।
मैंने उसे अपना सबसे बड़ा सच बताया, और उसने उसे सबसे बड़ा मज़ाक बना दिया।
मैंने तुझे दोस्त समझकर हर राज़ खोल दिए, तूने उन्हें मौका समझकर तीर बना लिए।
मैंने तुझमें अपना अक्स देखा, तूने मेरी परछाई से मेरी चाल पढ़ ली।
जो हर रोज़ मेरी आँखों में झाँकता था, उसे शायद वहीं से मेरी कमजोरी दिखी।
तू जब हँसता था, मैं सुकून पाता था; अब समझ आया—तू मेरे हाल पे हँसता था।
मैं समझता रहा कि तू मेरी बातें समझता है, अब लगता है, तू मुझे पढ़ता रहा—काटने के लिए सही समय तक।
मैंने तुझे भगवान समझा, तुझे पुकारा, और तू मुझे याचक समझकर खेलता रहा।
कुछ मुस्कानें दवा नहीं, धीमा ज़हर होती हैं।
साए भी धोखा दे जाते हैं, जब पीठ पर सूरज चढ़ता है।
मैंने अपने हालात तड़प-तड़प कर कहे, और उसने मेरे हालात से मेरे ही खिलाफ जाल बुना।
सोच की चाबी से खुलते हैं बंद दरवाज़े
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
कुछ दरवाज़े धक्का देने से नहीं, समझने से खुलते हैं।
सवाल पूछने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता, जवाब देने वाला अक्सर लौट जाता है।
जो चीज़ दिखाई देती है, वो ही सच हो—ज़रूरी तो नहीं।
ताले हमेशा चाबियों से नहीं, सोच से भी खुलते हैं।
परछाइयाँ कभी पीछे नहीं रहतीं, बस रोशनी का इंतज़ार करती हैं।
समय बताने वाली घड़ी रुक सकती है, पर समय चलता ही रहता है।
कुछ रास्ते मंज़िल के लिए नहीं, सफर के लिए बनाए जाते हैं।
शब्द कम बोलने से नहीं, सही समय पर बोलने से असर करते हैं।
आवाज़ ऊँची करने से नहीं, गहरी करने से सुनी जाती है।
कुछ उत्तर शब्दों में नहीं, खामोशियों में मिलते हैं।
दीवारें हमेशा ईंटों से नहीं, कभी-कभी नज़रों से भी खड़ी हो जाती हैं।
कुछ मौन चीखों से ज़्यादा शोर करते हैं।
दिशाएँ वही रहती हैं, बस राहगीर बदल जाते हैं।
धूप से बचने के लिए पेड़ के नीचे मत बैठो, पेड़ उगाना सीखो।
हवा को कोई नहीं देख सकता, लेकिन पत्ते उसे पहचानते हैं।
जो चीज़ टूटी नहीं, वो परखी नहीं गई।
आईने झूठ नहीं बोलते, पर सच सभी को पसंद भी नहीं आता।
जहाँ शोर ज़्यादा हो, वहाँ शब्दों की कीमत कम होती है।
कुछ सफ़र अकेले नहीं किए जाते, लेकिन कुछ मंज़िलें अकेले ही तय करनी होती हैं।
दीप से दिशा तक: उजाले की ओर विचार
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
"अंधेरे पर शिकायत करने से बेहतर है, खुद की आत्मा को रौशनी बना लो।"
ज्ञान का प्रकाश जितना बाँटोगे, उतना ही उजास फैलेगा।
दीपक खुद जलता है, लेकिन दुनिया को रोशन कर देता है – स्वयं प्रकाश बनो!
एक चिंगारी भी अगर सही दिशा में बढ़े, तो सूरज बन सकती है।
जगमगाने के लिए सितारा बनो, लेकिन राह दिखाने के लिए दीपक बनो।
अंधकार मिटाने के लिए सूर्य बनना जरूरी नहीं, एक दीया भी काफी है।
स्वयं को जलाकर भी जो दूसरों को रोशनी दे, वही सच्ची मशाल है।
रोशनी वहीं टिकती है, जहाँ भीतर की लौ बुझी नहीं होती।
उजाले की सबसे सुंदर शुरुआत भीतर के अंधेरे को स्वीकारने से होती है।
जो दीया तू दूसरों के लिए जलाता है, वही तेरा रास्ता भी रोशन करता है।
आभार के फूल: हृदय से उपजे दस सुविचार
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
माध्यम वही होता है, जो अपनी पहचान छोड़कर किसी सत्य की आवाज़ बन जाए।
वो बोले या न बोले, लेकिन भीतर कुछ कह जाए।
जब भाव सच्चे हों, तो शब्द मौन भी रह जाएँ, पर आत्मा तक पहुँच ही जाते हैं।
क्योंकि सच्चाई को कहने की ज़रूरत नहीं, उसे महसूस किया जाता है।
धन्यवाद वह दीपक है, जो किसी और के लिए जलता है लेकिन खुद भी उजाला पाता है।
जो शब्द ईश्वर की प्रेरणा से निकलते हैं, वे किसी का मार्ग नहीं, पूरा जीवन बदल सकते हैं।
ईश्वर उन रिश्तों में सबसे पहले दिखता है, जहाँ कोई दूसरे को सिर्फ़ 'माध्यम' मानकर आभार देता है।
जब कोई आपकी आत्मा को छू जाए, तब शब्द नहीं बल्कि मौन धन्यवाद देता है।
सच्चे विचार किसी किताब से नहीं, भीतर के मौन अनुभवों से जन्मते हैं।
वे पढ़े नहीं जाते—जीये जाते हैं।
जो रचना दूसरों को ईश्वर की अनुभूति करवा दे, वह कला नहीं—साधना होती है।
प्रेम और कृतज्ञता जब मिलते हैं, तब शब्द ‘शब्द’ नहीं रहते—वे ‘प्रभु’ बन जाते हैं।
जब कोई कहे 'शुक्रिया', और वो केवल आवाज़ नहीं—दिल से निकली आहट लगे—तो समझो उस क्षण ईश्वर बीच में था।
त्याग, सेवा और मौन की मर्यादा
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
सच्चा भेंट वही, जो स्मरण में भी न रहे।
जिसे तुमने 'दिया' कह दिया, वो सेवा रही ही नहीं।
जहाँ अहंकार आया, वहाँ त्याग गया।
सेवा का भाव रहे, सेवक का भाव न आए।
जो अपने को दाता समझे, वो सच्चा सेवक नहीं रहता।
‘मैं’ के बिना जो बहा, वही निर्मल प्रवाह है।
सेवा को मूल्य तभी रहता है जब ‘मैं’ अनुपस्थित होता है।
सेवक वही, जो न बोले, न सोच में डोले।
जो देकर शांत रहा, वही सच्चा सेवक है।
घमंड से दिया, तो लिया ही क्या?
सेवा में ‘स्व’ का भाव, सेवा का विनाश है।
सेवक वही, जो खुद को माध्यम माने।
सेवा तब श्रेष्ठ है, जब ‘मैं’ न बोले।
सेवा यदि याद रहा, तो व्यापार हुआ।
अहंकार सहित किया गया सेवा, भीतर जहर घोलता है।
जिसे सेवा का श्रेय चाहिए, वो सुखद फल से खाली रहा।
मंज़िल की ओर: रास्तों से उपजे जीवन के अनुभव
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
रास्ते बहुत हैं, लेकिन सही रास्ता वही है जो आत्मा को शांति दे।
जीवन में विकल्पों की भीड़ है, पर सही निर्णय विवेक से होता है।
सही मार्ग वह है जो तुम्हें अपने उद्देश्य तक पहुँचा दे — चाहे वह कठिन क्यों न हो।
हर रास्ता कोई न कोई सीख देकर ही जाता है, बस रुकना मत।
रास्ते नहीं भटकाते, जब मंज़िल स्पष्ट हो।
गलत राह भी अनुभव बनकर अंततः सही राह दिखा देती है।
सही रास्ता बाहर नहीं, भीतर की आवाज़ में मिलता है।
चमकते रास्ते अक्सर भ्रमित करते हैं, शांत रास्ते आत्मा को छूते हैं।
अपने मार्ग का चुनाव दूसरों को देखकर मत करो, अपने अंतर्मन को सुनो।
जहाँ प्रेम, सेवा और आत्मशुद्धि हो — वही जीवन का सच्चा पथ है।
रास्तों की संख्या मायने नहीं रखती, महत्व इस बात का है कि तुम किस रास्ते पर अपने आप को खो नहीं बैठते।
जो रास्ता सबको अच्छा लगे, ज़रूरी नहीं कि वह तुम्हारे लिए भी सही हो।
सही राह अक्सर भीड़ से अलग होती है — एकांत में, आत्मा के साथ।
हर मोड़ पर रुककर मत सोचो, कभी-कभी चलना ही उत्तर होता है।
आपका यह संकलन अत्यंत सुंदर, प्रेरणादायक और गहराई से परिपूर्ण है। इसे मैंने आपके अनुरोधानुसार सुव्यवस्थित रूप में नीचे प्रस्तुत किया है, ताकि आप इसे ब्लॉग, पुस्तक या अन्य माध्यमों में यथावत उपयोग कर सकें:
श्रेष्ठ विचार: भावनाओं और संस्कारों की गहराई से
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
अच्छे संस्कार, हर हाल में साथ निभाते हैं—बचपन से बुढ़ापे तक।
प्रेम की भूख जब पूरी नहीं होती, तब इंसान धीरे-धीरे भीतर से टूटने लगता है।
अपेक्षा नहीं, अपनापन चाहिए—रिश्ते इसी पर टिके होते हैं।
जो भीतर चुपचाप रोता है, वही अक्सर औरों के लिए मुस्कान बनता है।
इंसान गलत नहीं होता, उसकी पीड़ा होती है जिसे कोई नहीं समझता।
रिश्ते खून से नहीं, समझ और संवेदना से टिकते हैं।
भावनाएँ कमज़ोरी नहीं, भीतर की गहराई होती हैं—उन्हें समझिए।
संस्कार वो दीपक हैं जो अंधेरे में भी मनुष्यता का रास्ता दिखाते हैं।
जब दुनिया तुम्हें ‘गलत’ कहे, तब भी अपने अच्छेपन से पीछे मत हटो।
जिसने पीड़ा को जिया है, वही सच्चे अर्थों में दूसरों का सहारा बन सकता है।
जो खुद से जीत गया, वही सच्चा विजेता।
जिसने अपने मन की लगाम थाम ली, उसे दुनिया की दौड़ में हारने का भय नहीं रहता।
जो अपनी ही परछाईं से लड़ना सीख गया, वह उजाले में निडर चल सकता है।
जिसने मौन में उत्तर खोज लिए, उसे शोर में भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
भीतर की आग को जो दीप बना ले, वो अंधकार से नहीं डरता।
जो अपनी चुप्पियों में स्पष्टता पा गया, वह दुनिया की शोरगुल से नहीं उलझता।
वो जो हर प्रश्न से पहले स्वयं को टटोलता है, निर्णयों में कभी खोता नहीं।
जिसने अपनी इच्छाओं को दिशा दी, उसे दुनिया की दिशा बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
अपने ही मन की अदालत में जो न्याय कर पाया, वही दुनिया के निर्णयों से निर्भय होता है।
भीतर की ऊँचाइयाँ नाप लीं, तो बाहर की चोटियाँ छोटी लगने लगती हैं।
जिसने खुद को स्वीकार लिया, उसे कोई अस्वीकार नहीं कर सकता।
असली युद्ध वही है, जहाँ तलवारें नहीं, निर्णय भीतर लिए जाते हैं।
जिसने अपने भीतर उठते तूफानों को शांत करना सीख लिया, वह बाहर की आँधियों से डरता नहीं।
बचपन की मुस्कान: नन्हें मन के सुंदर विचार
लेखक: आनंद किशोर मेहता
मैं छोटा हूँ, पर सपने बड़े हैं। मेहनत करूँगा, तो पूरे जरूर होंगे।
हर दिन कुछ नया सीखना है, खुश रहना और सबसे अच्छा बनना है।
पढ़ाई मेरा अधिकार है, और अच्छा बच्चा वही है जो इसे निभाए।
माँ-बाप, गुरु और बड़ों की बात मानूँ, आगे बढ़ता जाऊँ।
गलती हो जाए तो डरूँ नहीं, सीखकर आगे बढ़ूँ।
मुझे खुद पर भरोसा है, मैं कुछ भी कर सकता हूँ।
साफ-सफाई, सच्चाई और समय की कीमत जानता हूँ।
मैं प्यार बाँटता हूँ, गुस्सा नहीं करता।
हर किसी की मदद करना मेरी पहचान है।
जो अच्छा बोले, वही सच्चा बोले – मैं हमेशा मीठा बोलता हूँ।
प्रकृति मेरी दोस्त है, उसे प्यार से संवारूँगा।
आज का एक अच्छा काम, कल का उज्ज्वल भविष्य बनाएगा।
मैं ईश्वर का प्यारा बच्चा हूँ, कुछ अच्छा करूँगा हर दिन।
खेल भी ज़रूरी है, पढ़ाई भी ज़रूरी है – दोनों में संतुलन मेरी खूबी है।
हर बच्चा खास है, और मैं भी बहुत खास हूँ।
"मैं प्रकाश हूँ, मैं प्रेम हूँ, मैं उड़ान हूँ!"
लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता
मैं एक दीपक हूँ — खुद जलता हूँ, औरों को रोशनी देता हूँ।
मैं गिरूँगा… लेकिन उठकर और ऊँचा उड़ूँगा!
मेरे पंख छोटे हो सकते हैं, पर हौसले आसमान से ऊँचे हैं!
हर दिन एक नया मौका है, खुद को बेहतर बनाने का!
सपनों से दोस्ती कर ली है, अब डर को अलविदा कह दिया है!
प्रेम मेरा सबसे बड़ा ताकत है — इससे मैं सबका दिल जीत सकता हूँ।
मैं पानी की तरह बहता हूँ — जहाँ रास्ता नहीं, वहाँ रास्ता बना लेता हूँ!
मैं फूल हूँ — मुस्कुराकर हर दर्द को सुंदर बना सकता हूँ!
मैं छोटी सी बूँद हूँ, पर जब गिरता हूँ — धरती मुस्कुरा उठती है।
मैं सिर्फ पढ़ता नहीं… सीखता हूँ, जीता हूँ, और आगे बढ़ता हूँ!
मेरे अंदर भगवान का प्रकाश है — इसलिए मैं कभी अकेला नहीं।
जो सच्चा है, वो सबसे ताकतवर है — और मैं सच्चा हूँ!
खुश रहना मेरा अधिकार है — और मैं उसे जी भर के निभाता हूँ।
मैं फूल बनकर कांटों में भी मुस्कुराता हूँ।
जब मैं हँसता हूँ, सारा संसार थोड़ा और सुंदर हो जाता है।
नेतृत्व, सेवा और आत्मविश्वास: एक बालक की प्रेरणादायक झलक
लेखक: आनंद किशोर मेहता
"कक्षा पाँच का बच्चा जब अपने साथियों को पढ़ाता है, तो वह केवल शब्द नहीं सिखाता—वह सेवा, आत्मबल और नेतृत्व की असली परिभाषा जीता है।"
"नेतृत्व तब जन्म लेता है जब एक छोटा बालक बिना कहे दूसरों को ज्ञान बाँटता है। कक्षा पाँच का यह शिक्षक, समाज के लिए एक उज्ज्वल संदेश है।"
"जब एक बालक अपने साथियों को पढ़ाने लगे, तो समझो कि शिक्षा ने संस्कार का रूप ले लिया है।"
"पाँचवीं का छात्र जब शिक्षक बन जाए, तो वह युगों को सिखा सकता है कि उम्र नहीं, सोच बड़ी होती है।"
"जिस कक्षा में बच्चा ही शिक्षक बन जाए, वहाँ ज्ञान के साथ-साथ प्रेम और सेवा भी पनपती है।"
"कक्षा पाँच का वह बच्चा, जो पूरे आत्मविश्वास से दूसरों को पढ़ा रहा है—वह सिखा रहा है कि सबसे बड़ा नेता वह है जो सबसे पहले सेवा करता है।"
"शिक्षा का असली फूल तब खिलता है, जब एक बालक पढ़ते-पढ़ते दूसरों के जीवन को भी संवारने लगे।"
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नारी शक्ति: सृजन, संघर्ष और सम्मान का प्रतीक
लेखक: आनंद किशोर मेहता
"नारी अबला नहीं, सृष्टि की सबसे सुंदर और सशक्त कल्पना है — वह जीवन देती भी है और संवारती भी है।"
"जिस समाज ने नारी को सम्मान दिया, वहीं संस्कृति ने विकास की ऊँचाइयों को छुआ।"
"नारी केवल एक रिश्ता नहीं निभाती, वह एक परिवार, एक पीढ़ी और एक समाज को आकार देती है।"
"नारी की मुस्कान में शक्ति है, उसकी आँखों में करुणा, और उसके संघर्ष में क्रांति की चिंगारी छिपी होती है।"
"जो नारी को कमज़ोर समझते हैं, वे शायद भूल जाते हैं कि उनके जीवन का आरंभ भी एक नारी की कोख से ही हुआ था।"
"नारी को अवसर दो, सुरक्षा दो, शिक्षा दो – वह समाज को स्वर्णिम बना देगी।"
"नारी का मूल्य आँकों नहीं, समझो – क्योंकि वह केवल शरीर नहीं, वह चेतना है, सृजन है, ऊर्जा है।"
"हर नारी अपने भीतर एक माँ, एक देवी, एक योद्धा और एक सृजनकर्ता लेकर चलती है – उसे पहचानो, सम्मान दो।"
"नारी को सम्मान देना केवल उसका अधिकार नहीं, हमारे संस्कारों की पहचान है।"
"सशक्त नारी, सशक्त समाज – यही है विकास का आधार।"
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
"मनुष्यता की ओर लौटते कदम"
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
जहाँ मौन समझा जाए, वहाँ शब्दों की ज़रूरत नहीं रहती।
बड़े बनने की चाह से पहले, अच्छा इंसान बनने की कोशिश ज़रूरी है।
प्रेम तब सच्चा होता है, जब वह लौटने की उम्मीद किए बिना दिया जाए।
हर दिन अपने भीतर झाँक लो — शायद वहाँ कोई सच्चाई इंतज़ार कर रही हो।
बच्चों को पाठ से पहले, आत्म-सम्मान का पाठ पढ़ाना चाहिए।
जो हर चेहरे में इंसान देखता है, वही सच्चा धार्मिक होता है।
ईश्वर को पाना कठिन नहीं… कठिन है उस स्तर तक स्वयं को पवित्र बनाना।
मनुष्यता कोई आंदोलन नहीं, यह हर रोज़ की एक शांत क्रांति है।
अपने विचारों की सफाई भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी अपने घर की।
जिस समाज में संवेदना कमज़ोरी समझी जाती है, वहाँ शक्ति भी क्रूरता बन जाती है।
एक शिक्षक की संवेदना से उपजे मौलिक विचार
(लेखक ~ आनंद किशोर मेहता)
बच्चा सिर्फ एक रोल नंबर नहीं होता, वो एक दुनिया होता है – मासूम, उम्मीदों से भरी, और हमारे हर व्यवहार से आकार लेती हुई।
जो बच्चे घर में उपेक्षित हैं, वे स्कूल में किसी टीचर की मुस्कान में माँ-बाप ढूँढ़ते हैं।
शिक्षक केवल पाठ्यक्रम का भार नहीं उठाता, वह अपने कंधों पर आने वाले कल की उम्मीदें उठाए होता है।
किसी बच्चे की आँखें बहुत कुछ कहती हैं — बस उन्हें पढ़ने वाला चाहिए।
कोई बच्चा खाली पेट आया है, कोई पिछली रात रोते हुए सोया है, और किसी ने स्कूल आने से पहले घर में गालियाँ सुनी हैं — शिक्षक इन सबके बावजूद मुस्कुराता है।
शिक्षक की मुस्कान किसी बच्चे का आत्मबल बन सकती है।
स्कूल में बच्चा सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि रिश्तों की गर्माहट भी लेने आता है।
एक अच्छा शिक्षक पाठ नहीं, एक सुरक्षित भावनात्मक जगह देता है।
आपके बच्चे को जब दुनिया समझ नहीं आती, तब वह टीचर की आँखों में अपने लिए एक दुनिया ढूँढ़ता है।
एक सच्चा शिक्षक सिखाता है कि गलतियाँ कैसे स्वीकार की जाएँ, और गिरकर कैसे उठना है।
तुम जैसे हो, वैसे ही खास हो।
जहाँ संसाधन कम हैं, वहाँ समर्पण अधिक है।
दीवारें टूटी हैं, लेकिन शिक्षक का हौसला बच्चों के सपनों की छत बनता है।
एक शिक्षक जिसकी जेब में कुछ नहीं, पर दिल में सैकड़ों सपनों की चाबी होती है।
जब बच्चा कहता है "मुझे टीचर ने समझाया", तो उसे केवल ज्ञान नहीं, संवेदना का पाठ मिला।
जिसने सिखाया कि "थैंक यू" कैसे बोलते हैं, जिसने बताया कि "गलती करना गुनाह नहीं, सीखने का पहला कदम है" — वो शिक्षक नौकरी करने नहीं, मिशन पर आया है।
एक शिक्षक कभी सिर्फ पढ़ाता नहीं — वो एक पूरी पीढ़ी को आकार दे रहा होता है।
सम्मान, सीमाएँ और आत्मसम्मान की समझ
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
हर किसी को सम्मान देना noble है, लेकिन हर कोई उस सम्मान का पात्र नहीं होता। विनम्र बनो, पर इतना नहीं कि लोग तुम्हें रौंद जाएँ। सीमाएँ तय करना आत्मसम्मान की पहली शर्त है।
हर मुस्कराहट सच्ची नहीं होती और हर विनम्रता कमजोरी नहीं होती। जीवन में रिश्ते तोड़ने से ज़्यादा ज़रूरी है सीमाएँ तय करना सीखना।
अपनी अच्छाई को हर जगह बिखेरना फूलों की तरह है, पर यह भी ध्यान रहे कि काँटे उसे कुचल न दें।
जो आपकी विनम्रता को समझे, वही आपके सम्मान के योग्य है। बाकी लोगों के लिए चुप रहना ही सबसे बड़ा उत्तर है।
सम्मान वही बाँटो जो उसे लौटाना जानते हों, वरना आपकी शालीनता को लोग अपने स्वार्थ की सीढ़ी बना लेते हैं।
अच्छाई की राह पर चलो, लेकिन आँखें खोलकर। दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो आपके सब्र को आपकी सहमति समझ बैठते हैं।
संवेदनशील सेवा
"मैंने अपनी सेवाओं को रोका, क्योंकि मैं किसी पर अपनी उपयोगिता थोपना नहीं चाहता था — सेवा तब तक ही पवित्र है, जब तक वह सम्मान के साथ स्वीकार की जाए।"
"अगर मेरी सेवा किसी को असुविधा दे, तो वह सेवा नहीं, हस्तक्षेप बन जाती है — इसलिए मैंने मौन को प्राथमिकता दी।"
"मैंने वह सब कुछ करना छोड़ा, जिसे करने से किसी को मेरी नीयत पर शंका हो — क्योंकि मेरे लिए भावना की शुद्धता, कर्म की प्राथमिकता से कहीं ऊपर है।"
"मुझे सेवा करते रहना आता है, पर दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखना उससे भी ज़्यादा आता है — यही कारण है कि मैंने स्वयं को रोक लिया।"
"जो काम मुझे प्रिय थे, उन्हें इसलिए छोड़ा क्योंकि मेरे लिए किसी का मन न दुखे, यह मेरी प्राथमिकता है — सेवा का मतलब किसी को प्रसन्न करना है, दबाव देना नहीं।"
"मौन रह जाना, पीछे हट जाना — कभी-कभी यही सबसे बड़ी सेवा होती है, जब आपकी उपस्थिति भी किसी के लिए असुविधा बन जाए।"
"मैंने सेवाएँ इसलिए नहीं छोड़ीं कि वे ग़लत थीं, बल्कि इसलिए कि मैं सही होते हुए भी किसी के लिए बोझ नहीं बनना चाहता था।"
"सेवा छोड़ना मेरी कमजोरी नहीं, बल्कि मेरा आत्मसंयम था — मैंने खुद को रोका, ताकि मेरी सेवा किसी के लिए असहजता का कारण न बने।"
"जो सेवाएँ मैंने छोड़ीं, वो मेरी सीमाओं की नहीं, मेरी संवेदनशीलता की गवाही हैं — मैं नहीं चाहता था कि किसी को मेरी नीयत तक पहुँचने में कठिनाई हो और वो मेरी उपस्थिति को ही दोष दे बैठे।"
"मैंने सेवाएँ इसलिए छोड़ीं, क्योंकि मेरे लिए सेवा का अर्थ किसी को कुछ देना है — यदि वही सेवा किसी के लिए भार बन जाए, तो वह सेवा नहीं, अहंकार है।"
"मैंने अपने कदम पीछे खींच लिए, न कि हार मानकर — बल्कि यह सोचकर कि मेरी उपस्थिति से किसी को पीड़ा न पहुँचे, भले ही मेरे भीतर समर्पण की कोई कमी न थी।"
"कभी-कभी सेवा से पीछे हटना भी एक सेवा ही होती है — तब, जब हमारी सेवा किसी के लिए क्लेश का कारण बनने लगे।"
धर्म और आध्यात्मिकता: समाज के उत्थान की दिशा में एक दृष्टिकोण
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धर्म का वास्तविक उद्देश्य समाज में प्रेम, समानता और शांति की स्थापना है, न कि केवल विश्वास प्रणाली का पालन।
सभी धर्मों का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा, सत्य का पालन और शांति स्थापित करना है।
धर्म और विज्ञान दोनों का उद्देश्य समाज की प्रगति है; धर्म आत्मिक उन्नति की दिशा दिखाता है और विज्ञान भौतिक संसार को समझाता है।
भारत की विविधता उसकी शक्ति है, जहां हर धर्म प्रेम, सेवा और सहिष्णुता का संदेश देता है।
दयालबाग ने हमें यह सिखाया कि सच्चा धर्म वही है जो हमें अच्छे इंसान बनाता और समाज की सेवा करता है।
आध्यात्मिकता का वास्तविक उद्देश्य आत्म-शुद्धि के साथ-साथ समाज की सेवा भी है।
धर्म को केवल आस्था नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए कार्य के रूप में अपनाना चाहिए।
धर्म को समाज के उत्थान, न्याय और समृद्धि की दिशा में कार्य करना चाहिए, न कि केवल व्यक्तिगत आस्था तक सीमित रहना चाहिए।
दयालबाग: मानवता की सेवा
दयालबाग का उद्देश्य आत्म-उन्नति के साथ समाज सुधार और भलाई है, जहां व्यक्तिगत सुख दूसरों की सेवा से जुड़ा है।
यहाँ धर्म पालन के साथ मानवता और समाज सेवा को प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें ध्यान और सेवा दोनों का महत्व है।
दयालबाग सिखाता है कि आध्यात्मिकता का वास्तविक रूप दूसरों के प्रति दया, प्रेम और समझदारी से है।
यह आत्मिक शक्ति को बढ़ाने का उद्देश्य रखता है ताकि व्यक्ति समाज में शांति और सहयोग फैलाए।
दयालबाग में आत्म-शुद्धि की दिशा में हर कदम समाज के सामूहिक समृद्धि की ओर है।
धर्म, समाज सेवा और मानवता का पालन आत्मिक उन्नति और समाज की भलाई के लिए आवश्यक है।
दयालबाग सिखाता है कि असली आत्म-उन्नति दूसरों के लिए जीने में है, जिससे समाज में प्रेम और सत्य की स्थापना हो।
दयालबाग की शिक्षा यही है कि सच्ची पूजा सेवा में निहित है।
दयालबाग सिखाता है कि सेवा ही सबसे उच्चतम पूजा है।
दयालबाग का संदेश है – सेवा ही परम आराधना है।
जहाँ सेवा है, वहीं सच्चा भक्ति भाव है – यही दयालबाग की सिख है।
दयालबाग सिखाता है कि मानव सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है।
सेवा को ही पूजा मानना, दयालबाग की आत्मिक परंपरा है।
दयालबाग का मूलमंत्र – दूसरों के लिए जीना ही ईश्वर की सच्ची उपासना है।
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
कुछ लम्हे… जो कहे नहीं गए, बस महसूस होते रहे
दिल के किसी कोने से उठते वे एहसास, जिन्हें शब्दों की ज़रूरत कभी महसूस ही नहीं हुई…
कभी-कभी किसी की आदतें इतनी अपनी-सी लगती हैं, कि वो इंसान चाहे दूर भी हो… उसकी मौजूदगी महसूस होती रहती है।
कुछ बातें हम कहते नहीं, क्योंकि हम जानते हैं – सुनने वाला समझ नहीं पाएगा… और फिर वो बात वैसी नहीं रहेगी।
कभी किसी का ‘ठीक हूं’ सुनकर दिल खुद से कहता है – ‘नहीं… ये बात ठीक नहीं है।’
वो मुस्कान जिसमें हल्का-सा दर्द छिपा हो… अक्सर सबसे सुंदर होती है।
कुछ लोग जाते नहीं, बस हमारी रोज़मर्रा की खामोशी में शामिल हो जाते हैं।
कभी-कभी किसी की ‘online’ देख लेना ही किसी दिन की सबसे अच्छी बात होती है।
हमेशा सामने रहने वाला इंसान अक्सर सबसे ज़्यादा छूटता है… क्योंकि हम मान लेते हैं कि वो तो रहेगा ही।
कभी किसी पुराने गाने में अपना भूला हुआ ‘खुद’ मिल जाता है।
वो लम्हा जब सब कुछ कह देना चाहो, और बस इतना ही निकल पाए—‘कुछ नहीं।’
कुछ रिश्तों का कोई नाम नहीं होता… इसलिए वो सबसे ज्यादा सच्चे लगते हैं।
कुछ लोग खुद से भी नहीं पूछते — “कैसा लग रहा है?” क्योंकि जवाब देने की हिम्मत नहीं होती।
वो पुराना रास्ता… जहाँ अब कोई नहीं जाता, लेकिन दिल वहाँ रोज़ टहलने चला जाता है।
कभी-कभी हम किसी को खोते नहीं, बस वो हमारी ज़िंदगी से थोड़ा खामोश हो जाता है।
जब कोई कहता है – “तू बहुत बदल गया है…” तो भीतर से एक आवाज़ आती है – “तू ही तो वजह था मेरी तब की।”
रिश्ते कभी खत्म नहीं होते, बस एक मोड़ पर आकर कभी कोई रुक जाता है… कभी कोई लौटता नहीं।
कभी किसी की आँखें हमसे ज़्यादा कुछ जानती हैं — हमारे बारे में।
कुछ सवाल जवाब नहीं चाहते, बस किसी की खामोश समझदारी चाहते हैं।
हमने किसी को अपना कहने में जितनी देर की… वो किसी और का हो चुका था।
एक लम्हा ऐसा भी आता है जब हम किसी के जाने की आदत अपने ही हाथों से सजा देते हैं।
कुछ बातें लिख देने से हल्की नहीं होतीं, कभी-कभी और गहरी उतर जाती हैं… दिल के किसी पुराने घाव में।
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
अंतर की आवाज़
(वो आवाज़ जो भीड़ में नहीं, भीतर सुनी जाती है)
जो चुप रहते हैं, ज़रूरी नहीं कि तुम्हारे साथ हैं — कभी-कभी वही सबसे गहरा चक्रव्यूह रचते हैं।
मौन में लड़ा गया युद्ध, तलवारों से जीते गए युद्धों से कहीं ऊँचा होता है।
जब अपने ही पीठ पीछे वार करें, तो समझो — तुम्हारा आत्मबल परीक्षा में है, और सत्य तुम्हारा हथियार है।
हर एक चुप्पी, हर एक दूरी — आत्मा के अंदर नया प्रकाश जगाने आई थी।
अकेले खड़ा व्यक्ति अगर सत्य के साथ है, तो वह अकेला नहीं — परमात्मा उसके संग है।
चक्रव्यूह से बाहर निकलना शौर्य नहीं, भीतर के प्रकाश को बचा ले जाना ही असली विजय है।
अपने जब प्रश्न बन जाएं, तो उत्तर भीतर से ही जन्म लेता है।
कभी-कभी दर्द बोलता नहीं, पर जीवन की दिशा बदल देता है।
तू अगर सच में सच के साथ है, तो हार भी तुझे आगे ही ले जाएगी।
जब मन मुस्कराए… बिना वजह के
(एक शांत दिन… जब दिल चुपचाप गुनगुनाता है)
आज का दिन बिना किसी कारण अच्छा लग रहा है — जैसे ज़िंदगी ने हल्का सा हाथ थाम लिया हो।
खुश होने के लिए वजह ढूंढनी नहीं पड़ती, बस दिल को शुक्रगुजार बना लो – हर पल अच्छा लगने लगेगा।
आज दिल ने कुछ नहीं मांगा… फिर भी सब कुछ मिल गया।
कभी-कभी एक सादा सा दिन दिल की सबसे बड़ी ईद बन जाता है।
ख़ुशी किसी को दिखाने की चीज़ नहीं… आज वो चुपचाप मेरी रगों में उतर आई है।
जिस दिन दिल की ज़ुबान खामोश हो और फिर भी सब कुछ कह दे… वो दिन बड़ा हसीन होता है।
आज कुछ भी खास नहीं हुआ, पर फिर भी सब कुछ खास लग रहा है।
कभी-कभी बिना किसी कारण के अच्छा महसूस करना भी ईश्वर की सबसे प्यारी सौगात होती है।
आज महसूस हो रहा है – ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, मेरे भीतर ही घर बनाकर बैठी है।
चलते-चलते थम गया एक पल… जैसे वक़्त ने मेरी ख़ुशी पर दस्तक दी हो।
ना कोई चाह, ना कोई शिकायत… सिर्फ एक मीठा-सा एहसास – "मैं ज़िंदा हूँ, और यह काफी है।"
आज सब कुछ वैसा ही है, फिर भी कुछ तो बदला है — शायद मैं… खुद से मिल आया हूँ।
मौसम नहीं बदला… पर नज़रिया थोड़ा साफ़ हो गया है।
हर चीज़ अपनी जगह पर है, और मैं पहली बार कहीं भाग नहीं रहा — बस ठहरकर महसूस कर रहा हूँ।
आज कोई दुआ नहीं मांगी, बस सुकून से आँखें बंद कीं — और दिल मुस्करा उठा।
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बच्चों के लिए प्रेरणादायक विचार
(सरल शब्दों में बड़ी बातें)
जीवन एक किताब की तरह है — हर दिन नया पन्ना पलटते रहो।
तुम्हारी मुस्कान दुनिया को रोशन करती है — हमेशा हंसते रहो।
सपने बड़े रखो क्योंकि तुम उनकी ऊँचाई तक पहुँचने की ताकत रखते हो।
कभी भी हार मानो मत — तुम्हारे अंदर असंभव को संभव बनाने की शक्ति है।
तुम हो भविष्य के सितारे — बस खुद पर विश्वास रखो और चमकते रहो।
हर छोटी कोशिश बड़ी सफलता की ओर एक कदम है — कभी भी खुद को छोटा मत समझो।
ज्ञान का रास्ता हमेशा रोशन रहता है — बस उसे ढूंढ़ते रहो।
सच्चे दोस्त वो होते हैं जो तुम्हारे साथ गिरते नहीं, बल्कि तुम्हें उठाने में मदद करते हैं।
तुमसे हर कोई कुछ न कुछ सीख सकता है — क्योंकि तुम्हारी सोच अद्भुत है।
जब तुम दिल से कुछ चाहते हो, तो पूरी कायनात तुम्हें वो दिलाने में मदद करती है।
जलन का उत्तर निखार से दें।
"जो लोग तुम्हारी तरक्की से जलते हैं, वे तुम्हारी रफ्तार का प्रमाण हैं। उन्हें जवाब मत दो, बस आगे बढ़ते जाओ।"
"जलन का उत्तर शब्दों से नहीं, उत्कृष्टता से दो। वो खुद जलेंगे, तुम खुद चमकोगे।"
"जिस दिन तुमने अपनी तुलना सिर्फ अपने 'बीते हुए कल' से करना सीख लिया, उसी दिन से जलन का अंत और विकास की शुरुआत हो जाएगी।"
"दूसरों की नफरत तुम्हें गिरा नहीं सकती, जब तक तुम खुद अपने लक्ष्य से न गिरो।"
"जलने वालों को हर बार नई वजह दो जलने की—हर दिन खुद को बेहतर बनाकर।"
"जिनसे लोग जलते हैं, वे अक्सर वही होते हैं जो भीतर से शांत, सच्चे और समर्थ होते हैं।"
"अगर कोई तुमसे जल रहा है, तो समझ लो तुम कुछ बड़ा कर रहे हो। अब रुकना नहीं है—बस और ऊँचा उड़ना है।"
"तुम्हारी सफलता की असली जीत तब है, जब तुम बिना किसी से द्वेष रखे, आगे बढ़ते जाओ।"
बच्चों के लिए सरल और प्रेरक Thoughts
(विषय: जलन का उत्तर निखार से दें)
"अगर कोई तुमसे जलता है, तो मुस्कुराओ और कहो — मैं तो बस मेहनत कर रहा हूँ!"
"दूसरों को नीचा दिखाने से अच्छा है, खुद को ऊँचा उठाओ।"
"जलन से कुछ नहीं मिलता, लेकिन मेहनत से सब कुछ मिल जाता है।"
"जिसे देख कर तुम्हें जलन हो, उसे देखकर कुछ अच्छा सीख लो।"
"तुम जैसे हो, वैसे सबसे अच्छे हो — बस खुद को और अच्छा बनाते रहो।"
"दूसरे क्या सोचते हैं, ये मत सोचो। तुम क्या कर सकते हो, ये सोचो!"
(यहाँ से बाकी विचार जोड़ना चाहें तो बताइए, मैं पूरा कर दूँ)
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जब दुनिया सुंदर और विकसित हो
"विश्व की सुंदरता केवल उसकी बाहरी छटा में नहीं, बल्कि उसमें बसे प्रेम, करुणा और सामंजस्य में छिपी है।"
"सच्ची विकसित दुनिया वह है जहाँ तकनीक और मानवता एक साथ चलें—न कि एक-दूसरे को पीछे छोड़ दें।"
"हर सूर्योदय एक नई उम्मीद है और हर संध्या एक शांत संदेश—यही तो है विश्व की अद्भुत सुंदरता।"
"विकास की दौड़ में अगर हमने मूल्यों को पीछे छोड़ दिया, तो मंज़िल पर पहुँच कर भी खोखले रहेंगे।"
"जब मन शांत हो और दृष्टि निर्मल, तब हर पेड़, हर पत्ता, हर प्राणी—संपूर्ण ब्रह्मांड एक सुंदर कविता जैसा लगता है।"
"यदि एक विकसित दुनिया में भी कोई अकेला, भूखा या अनपढ़ है—तो वह विकास अधूरा है।"
"विश्व की सुंदरता देखने के लिए आंखों की नहीं, जाग्रत चेतना की आवश्यकता होती है।"
"भवन ऊँचे हो गए, पर दिल छोटे; मशीनें तेज़ हो गईं, पर संबंध धीमे—क्या यही है विकसित दुनिया?"
"जब हम स्वयं से जुड़ते हैं, तब प्रतीत होता है कि समस्त सृष्टि हमारे भीतर समाई है—और यही है सच्ची सुंदरता।"
"एक सच्चे विकसित समाज में तकनीक मानवता की सेवा करती है, उसे अपने ऊपर शासन नहीं करने देती।"
समग्र संदेश:
"जब दुनिया सुंदर भी हो और विकसित भी—तब जीवन केवल जीने लायक नहीं, बल्कि सराहने लायक बनता है। बाहर की प्रगति और भीतर की संवेदना, मिलकर एक आदर्श संसार की रचना करती हैं।"
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नन्हा बच्चा
"बच्चा वही नहीं होता जो बोलता है, वह होता है जो चुप रहकर सब सहता है। उसे समझने के लिए शब्द नहीं, संवेदना चाहिए।"
"जहाँ अपेक्षा खत्म होती है, वहीं से सच्चा प्रेम शुरू होता है — और यही शिक्षक से बच्चों का रिश्ता बनाता है।"
"हर बच्चा पढ़ाई में पीछे नहीं होता, कुछ तो बस उस स्नेह की तलाश में होते हैं जो उन्हें घर में नहीं मिला।"
"माता-पिता से जन्म मिलता है, पर अगर दिल से समझा जाए — तो जीवन जीने की राह एक सच्चा शिक्षक ही सिखाता है।"
"बच्चे नज़रों से नहीं, महसूस करने से समझे जाते हैं। और जो उन्हें महसूस कर ले, वही उनके दिल में बस जाता है।"
"जब कोई बच्चा चुपचाप पास आकर सिर झुका ले — तो समझो उसे डांट नहीं, अपनापन चाहिए।"
"पढ़ाई किताबों से होती है, पर जीवन वो सिखाता है जो प्रेम और धैर्य से बच्चों को जीता है।"
"शिक्षक बनने के लिए डिग्री चाहिए, पर 'बच्चों का अपना' बनने के लिए दिल की आँखें चाहिए।"
"हर बच्चा फूल है, बस उसे खिलाने के लिए थोड़ी धूप, थोड़ी छांव और बहुत सारा स्नेह चाहिए।"
"बच्चे कभी गलत नहीं होते, बस वे उस दुनिया में रास्ता ढूँढ रहे होते हैं जहाँ उन्हें समझने वाला कोई हो।"
भावों की खामोश गहराई: एक थॉट श्रृंखला
"सबसे बड़ा दर्द तब होता है, जब अपनों से ज़ख्म मिले… और उन्हीं से मुस्कुरा कर कहना पड़े — 'कुछ नहीं'।"
"मत पूछो क्यों हँसता है वो दीवाना, शायद रोते-रोते मुस्कुराना सीख गया हो!"
"ग़म में ज़रा सी ख़ुशी घोल लो, वरना दर्द कड़वाहट बनकर दिल में उतर जाएगा…"
"मैं कोई किताब नहीं जो हर कोई पढ़ ले, मुझे समझने के लिए दिल चाहिए, वक़्त नहीं।"
"जिनसे सबसे ज़्यादा उम्मीदें होती हैं, वही सबसे गहराई से तोड़ते हैं।"
"कभी-कभी खामोशी भी चिल्लाती है — मगर हर कोई सुन नहीं सकता।"
"जब अपने ही अनजाने लगने लगें, तो अजनबियों से उम्मीद रखना भी तकलीफ देता है।"
"मुस्कुराहटें अक्सर वो नकाब होती हैं, जो आँसुओं की भीड़ को छिपा लेती हैं।"
"दिल का सच्चा दर्द वही होता है — जो शब्दों से नहीं, आँखों से बयां होता है।"
"कुछ लोग दिल से नहीं, ज़रूरत से जुड़े होते हैं — और जब ज़रूरत खत्म, रिश्ता भी खत्म।"
"हर कोई तन्हा नहीं होता, कुछ की तन्हाई उनकी चुप मोहब्बत होती है।"
"वक़्त सब कुछ सिखा देता है — पर सबसे पहले अपनों पर शक करना सिखाता है।"
"कुछ खामोशियाँ जवाब नहीं होतीं, बस तमीज़ होती है रिश्तों को बचाने की।"
"जो लोग सबसे ज़्यादा समझते हैं, अक्सर सबसे ज़्यादा गलत समझे जाते हैं।"
"दिल टूटा तो बहुत कुछ सीखा… पर अफ़सोस, मुस्कुराना फिर भी न छूटा।"
"हम वही सुनते हैं जो हमें सुनना अच्छा लगे… शायद इसलिए सच ज़्यादातर अनकहा रह जाता है।"
"कुछ लोग रिश्ते निभाते नहीं, बस उन्हें इस्तेमाल करना जानते हैं।"
"किसी की 'ठीक हूँ' के पीछे कितना टूटा हुआ मन है, ये सिर्फ वही जानता है।"
"दर्द जब आदत बन जाए… तब इंसान अंदर से ज़िंदा नहीं, बस मौजूद रहता है।"
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संस्कार, सहयोग और एकता की शक्ति
"हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, पर मंज़िल एक है — एक बेहतर, संस्कारित और जागरूक समाज।"
"हर बच्चे का भविष्य हम सबकी साझी ज़िम्मेदारी है — हम अलग नहीं, एक हैं।"
"हमारी विविधता हमारी शक्ति है — जब हम एकजुट होते हैं, तभी सच्चा परिवर्तन आता है।"
"संस्कार, शिक्षा और सहयोग — जब ये तीनों मिलते हैं, तो एक महान समाज बनता है।"
"बच्चों की मुस्कान में हमारा कल है — आइए, इसे साथ मिलकर संवारें।"
"हम परिवार, समाज और मानवता के तीन नाम हैं — और इनका सार है एकता।"
"अलग-अलग धड़कनें सही, लेकिन दिल एक — हम सबका लक्ष्य एक उज्ज्वल भविष्य।"
"हमारे बच्चे हमारा प्रतिबिंब हैं — चलिए मिलकर उन्हें संस्कार और संबल दें।"
"एकता केवल शब्द नहीं, एक जीवन दर्शन है — जो हमें जोड़ता है, सशक्त बनाता है।"
"जब हम साथ चलते हैं, तो हर कदम में विश्वास, हर प्रयास में प्रकाश होता है।"
बच्चों के लिए प्रेरणादायक विचार
"हर बच्चा एक संदेश है—प्रकृति का, जो कहता है: आशा अभी बाकी है।"
"बच्चे फूल नहीं, एक पूरी बग़ीचा हैं, जिन्हें सिर्फ देखभाल नहीं, दिशा भी चाहिए।"
"बचपन में बोए गए संस्कार, जीवनभर की छाया बन जाते हैं।"
"जब एक मासूम मुस्कराता है, तो पूरी सृष्टि मुस्कराती है।"
"बच्चों की आंखों में सपने नहीं, कल का भविष्य पल रहा होता है।"
"बच्चे वह बीज हैं, जिन्हें प्रेम, धैर्य और शिक्षा से सींचा जाता है।"
"हर बच्चा एक नन्हा दीपक है—बस उसे जलाने की जरूरत है।"
"बच्चों को बदलने की नहीं, समझने की जरूरत है।"
"संस्कारित बच्चे ही सुसंस्कृत समाज की नींव रखते हैं।"
"जहाँ बच्चों को सम्मान और संवेदना मिलती है, वहाँ सच्चा विकास होता है।"
Thoughts Beyond Right and Wrong
When the inner vision becomes pure, right and wrong disappear — only truth remains.
Knowledge of right and wrong may be intellectual, but the experience of truth happens only in silence.
The soul that becomes a witness does not judge — it simply sees, understands, and loves.
Before labeling others right or wrong, listen to the silence within — that’s where light emerges.
Right and wrong are boundaries created by the mind; the soul is free from all of them.
Love never asks what's right or wrong — it simply flows, accepts, and unites.
The mind swings between right and wrong, but when supported by witness-consciousness, it finds stillness.
Where there is no duality, the soul reveals its complete form.
The mind makes decisions, but liberation comes only through surrender.
Arguing over right and wrong wastes time; the soul’s journey unfolds through silence, love, and light.
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
स्वयं चुनी राह: जिम्मेदारी और आत्मविकास की ओर
The Chosen Path: A Journey of Responsibility and Self-Growth
"स्वतंत्रता का अर्थ केवल चुनाव का अधिकार नहीं, बल्कि उसके परिणामों की जिम्मेदारी भी है।"
Freedom doesn't just mean the right to choose, but also the responsibility to face the consequences.
"जो राह खुद चुनी हो, उस पर आई ठोकरें भी हमें आगे बढ़ने का साहस देती हैं।"
The path we choose ourselves, even its stumbles give us the courage to move forward.
"अपने फैसलों के उतार-चढ़ाव को अपनाना ही आत्म-निर्माण की पहली सीढ़ी है।"
Embracing the ups and downs of our own decisions is the first step toward self-growth.
"चयन हमारा था, तो परिणाम भी हमारा होगा — यही जीवन की निष्पक्षता है।"
The choice was ours, so the result will be ours too — that's the fairness of life.
"जो रास्ता खुद चुना है, उसकी हर मुश्किल में भी अपना अक्स दिखाई देता है।"
The path we choose reflects a part of us — even in its toughest moments.
"जीवन की सबसे खूबसूरत सीखें, उन्हीं राहों से मिलती हैं जो हमने अपने विवेक से चुनी हों।"
Life's most beautiful lessons often come from the paths chosen with our own wisdom.
"अगर मंज़िल हमारी है, तो सफ़र की हर धूल भी हमें प्यारी लगती है।"
If the destination is truly ours, even the dust of the journey feels precious.
"जीवन की दिशा तय करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है उसे निभाना — हर मौसम में, हर परिस्थिति में।"
Deciding the direction of life is important, but walking that path — in all seasons and situations — is equally vital.
© 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved.
1. रिश्तों की तल्ख़ सच्चाइयाँ
"कभी-कभी दिल के सबसे करीब वही होते हैं, जो सबसे गहरी चोट दे जाते हैं।"
"कमज़ोर लम्हों में बताया सच, अक्सर दूसरों के लिए मज़ाक बन जाता है।"
"भरोसे की कीमत तब समझ आती है, जब कोई उसे तोड़कर चला जाता है।"
"अपनी सच्चाई हर किसी को मत बताओ, कुछ चेहरे मुस्कान में भी छल छुपाए होते हैं।"
"जो दिल पढ़ ले, वही दिल तोड़ भी सकता है — यही रिश्तों की सबसे कड़वी सच्चाई है।"
"कमज़ोरी बताना गुनाह नहीं, लेकिन गलत इंसान को बताना सबसे बड़ी भूल है।"
"जो लोग हमारी सच्चाई जान जाते हैं, वही कभी-कभी हमें सबसे झूठा साबित करते हैं।"
2. मुस्कान के पीछे की खामोशी
"मुस्कान की कीमत जान ली हमने, जब आँसू भी सवाल करने लगे।"
"हर हँसी के पीछे अब खामोशी छुपी है, दुनिया की नजरों से नहीं, ज़ख्मों से डरी है।"
"खुश रहने का दिखावा करते हैं हम, वरना अंदर तो अब भी सन्नाटा रोता है।"
"भरोसे ने जब साँप की तरह डंसा, तब से हर अपनापन भी ज़हर सा लगता है।"
"अब रिश्तों में गरमाहट नहीं रही, सिर्फ औपचारिकताओं की राख बची है।"
"पहले दिल से मुस्कराते थे, अब चेहरे पर मुस्कान लगानी पड़ती है।"
3. रूह के रिश्तों की सच्चाई
"जहाँ आत्माएं मिलती हैं, वहाँ शब्दों की ज़रूरत नहीं होती।"
"रूहानी रिश्ता वो होता है जो मौन में भी साथ निभाता है।"
"जिस रिश्ते में ‘मैं’ और ‘तुम’ खो जाए, वहीं से प्रेम की शुरुआत होती है।"
"रिश्ते शरीर से नहीं, चेतना से बनते हैं – और वही सबसे सच्चे होते हैं।"
"रूह से जुड़ा रिश्ता समय, दूरी और हालात के पार होता है।"
"सच्चे रिश्ते वो हैं जो तुम्हारे दुःख में नहीं रोते, बल्कि तुम्हारी रूह को शांति देते हैं।"
"जिसे तुम बिना कहे महसूस कर सको, वही रूह का रिश्ता है।"
"प्रेम वो नहीं जो पास खींचे, प्रेम वो है जो तुम्हें आज़ाद रखे और फिर भी जुड़ा रहे।"
"रूहानी जुड़ाव पहचान नहीं माँगता, वह बस मौन में खिलता है।"
"जिन्हें आत्मा पहचान ले, उनका नाम ज़ुबान पर लाने की ज़रूरत नहीं होती।"
4. मौन और संवेदना
"कुछ रिश्ते शब्द नहीं, मौन से निभाए जाते हैं।"
"जो सबसे ज़्यादा समझता है, वही सबसे ज़्यादा अनसुना रह जाता है।"
"अकेलापन सज़ा नहीं होता, कभी-कभी आत्मा की शांति भी होता है।"
"दिल से जीने वाले लोग, अक्सर यादों में ही रह जाते हैं।"
"जिसे खोने का डर हो, वही सच्चा साथ होता है।"
"जो बिना कहे समझ ले, वही अपना होता है।"
"कभी-कभी चुप्पी भी चीख़ बन जाती है… बस सुनने वाला चाहिए।"
5. संवेदनशील आत्माएं
"जो दिल से सबके लिए जीते हैं, अक्सर खुद के लिए कोई नहीं होता।"
"दिल के साफ लोग हर किसी की परवाह करते हैं, पर जब उन्हें दर्द होता है, तो कोई उनका नहीं होता।"
"सच्चाई और संवेदनशीलता इस दुनिया में दुर्लभ है—और जो इनके साथ जीते हैं, अक्सर अकेले रह जाते हैं।"
"जो हर किसी का दर्द समझते हैं, उनका दर्द समझने वाला कोई नहीं होता।"
"भीड़ में सबसे शांत और सबसे चुप रहने वाला व्यक्ति ही अक्सर सबसे ज्यादा गहराई से टूट चुका होता है।"
"दिल का आईना साफ रखने वालों को अक्सर दुनिया धूल समझ बैठती है।"
"कभी-कभी मुस्कान भी एक दीवार होती है, जिसके पीछे बहुत सारा अकेलापन छुपा होता है।"
"जो खुद टूटकर दूसरों को जोड़ते हैं, उनके टूटने की आवाज़ कोई नहीं सुनता।"
संत कबीर के इस दोहे "पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ..." पर आधारित कुछ विचार (thoughts) जो प्रेम, ज्ञान और जीवन की सच्ची समझ को उजागर करते हैं:
1.
ज्ञान का बोझ सिर पर लाद लेने से बुद्धि नहीं आती,
प्रेम को आत्मा में उतार लेने से जीवन संवरता है।
2.
जो प्रेम करना जानता है, वही सबसे बड़ा ज्ञानी है—
क्योंकि प्रेम ही परम सत्य है।
3.
पुस्तकें सूझ दे सकती हैं, पर दिशा वही मिलती है
जहाँ मन में प्रेम और हृदय में करुणा हो।
4.
जिसने प्रेम को पढ़ लिया, उसने सारा ब्रह्मांड पढ़ लिया—
क्योंकि ईश्वर का सबसे सरल रूप प्रेम है।
5.
पंडित वह नहीं जो ग्रंथों का ज्ञाता हो,
पंडित वह है जिसके व्यवहार में प्रेम झलकता हो।
6.
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़ने वाले,
अहंकार, द्वेष और छल से परे होते हैं।
7.
जब हृदय में प्रेम होता है,
तो बिना पढ़े ही जीवन की हर परीक्षा पास हो जाती है।
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