प्रज्ञावानता की गूढ़ परिभाषा: तर्क, मौन और उसकी परे की अवस्था The Profound Definition of Wisdom: Logic, Silence, and Beyond लेखक: आनंद किशोर मेहता | Author: Anand Kishor Mehta © Copyright 2025 - आनंद किशोर मेहता "मनुष्य का वास्तविक उत्थान उसके विचारों की ऊँचाई से तय होता है, न कि उसकी आवाज़ की ऊँचाई से।" मानव सभ्यता के विकास में तर्क, संवाद और विचार-विमर्श की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। विज्ञान हमें बताता है कि हमारा मस्तिष्क एक अत्यधिक जटिल संरचना है, जो हमें सोचने, समझने और निष्कर्ष निकालने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, मन की शुद्धता और आंतरिक शांति को ही सच्ची बुद्धिमत्ता और प्रज्ञावानता का आधार माना जाता है। आज के युग में जब तर्क-वितर्क, संवाद और विवाद हर ओर हावी हो रहे हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम यह समझें कि प्रज्ञावानता केवल वाणी या ज्ञान की अभिव्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी अवस्था है, जहाँ व्यक्ति तर्क और मौन दोनों के पार पहुँच जाता है। आइए इस यात्रा को तीन प्रमुख चरणों में समझते हैं— 1. तर्कशीलता: विचारों क...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.